ऑक्सीजन संकट पर केजरीवाल की ऐसी खुली पोल!

ऑक्सीजन ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली की अत्यधिक मांग के कारण 12 अन्य राज्यों को जीवन रक्षक ऑक्सीजन की भारी कमी का सामना करना पड़ा। इसका कारण यह था कि उन राज्यों को दी जाने वाली ऑक्सीजन दिल्ली को उपलब्ध करा दी गई थी।

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कोरोना की दूसरी लहर में दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में ऑक्सीजन संकट का सामना करना पड़ा था। विशेषकर दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी को लेकर सियायसत गरमा गई थी। अब इस मामले में हैरतअंगेज खुलासा हुआ है। सर्वोच्च न्यायालय के ऑडिट पैनल की रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जरुरत से चार गुना अधिक ऑक्सीजन की मांग की थी।

पैनल की ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली को उस समय करीब 300 टन ऑक्सीजन की आवश्यकता थी, लेकिन दिल्ली सरकार ने इसे बढ़ाकर 1200 मीट्रिक टन की मांग केंद्र सरकार से की। ऑक्सीजन ऑडिट रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दिल्ली की अत्यधिक मांग के कारण 12 अन्य राज्यों को जीवन रक्षक ऑक्सीजन की भारी कमी का सामना करना पड़ा। इसका कारण यह था कि उन राज्यों को दी जाने वाली ऑक्सीजन दिल्ली को उपलब्ध करा दी गई थी।

300 मीट्रिक टन की जगह मांगी 1200 मीट्रिक टन ऑक्सीजन
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित पैनल की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली को उस समय करीब 300 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरुरत थी, लेकिन केजरीवाल सरकार ने 1200 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की मांग की थी। दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन संकट के बीच सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह ने 12 सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन किया था और ऑक्सीजन वितरण प्रणाली पर पैनल से ऑडिट रिपोर्ट मांगी थी।

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भरे हुए थे ऑक्सीजन टैंक
ऑडिट के दौरान ऑक्सीजन टास्क फोर्स ने पाया कि 13 मई को दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन टैंकरों को नहीं उतारा जा सका, क्योंकि उनके टैंक पहले से ही 75 प्रतिशत से अधिक क्षमता पर थे। यहां तक कि एलएनजेपी और एम्स जैसे सरकारी अस्पतालों में भी ऑक्सीजन टैंक भरे हुए थे।

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केंद्र और केजरीवाल सरकार के बीच बढ़ गया था विवाद
बता दें कि अप्रैल-मई में जब कोरोना संक्रमण चरम पर था, तब दिल्ली के कई अस्पतालों को ञक्सीजन संकट का सामना करना पड़ा था। यहां तक कि ऑक्सीजन न मिलने के कारण कई मरीजों की मौत भी हो गई थी। इस बात को लेकर केजरीवाल सरकार और केंद्र सरकार के बीच तकरार काफी बढ़ गई थी।

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