भारत के विरुद्ध ‘आतंकवाद’ और ‘आतंकी मैगजीन’… जानें ‘किसान’ से ‘जवान’ तक कैसे हैं सभी निशाने पर

भारत के विरुद्ध लंबे समय से आतंकवादी षड्यंत्र होते रहे हैं। अब इस षड्यंत्र में सुशुप्त नामों और संगठनों को पुनर्जीवित किया जा रहा है। कश्मीर और खालिस्तान के गठजोड़ का 'के-2' षड्यंत्र पूरा करने का आतंकी संगठनों और दुश्मन देशों का प्रयत्न है।

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पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठनों के तीन प्रकार हैं, जिसमें वैश्विक आतंकवादी संगठन, पाक पोषित भारत विरोधी आतंकवादी संगठन और पाकिस्तान की आंतरिक आतंकी गतिविधियों के संगठन हैं। भारत में सक्रिय आतंकी संगठनों का पोषण पाकिस्तान करता रहा है, इसमें आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकी संगठनों का गठजोड़ भी सम्मिलित है। कश्मीर में ‘द रेजिस्टेन्स फ्रंट’ पुलिस जवानों की हत्या कर रहा है तो आईएसआईएस की डिजिटल मैगजीन भारत के मुसलमानों को सरकारी तंत्र के विरुद्ध विद्रोह करने के लिए प्रेरित कर रहा है। जबकि खालिस्तानी मंसूबे विदेश में बैठकर कभी किसान आंदोलन में खालिस्तानी झंडा फहराने का षड्यंत्र रच रहे हैं तो कभी जनमत संग्रह के नाम पर भ्रमित कर रहे हैं।

सिख फॉर जस्टिस के गुरपतवंत सिंह पन्नू का ‘रेफेरेंडम 2020 (जनमत संग्रह 2020)’ औंधे मुंह गिरने के बाद बड़ा षड्यंत्र रचने के प्रयत्न में लगा हुआ है। उसने अब ‘खंडा या तिरंगा’ के नाम से एक भारत विरोधी अभियान चला रखा है। जिसमें धर्म की चासनी से राष्ट्र प्रेमी सिखों को वरगलाने का प्रयत्न ही दिखता है। इसके पीछे पाकिस्तान का बड़ा हाथ है, दूसरी ओर लश्कर ए तोयबा का हिस्सा ‘द रेजिस्टेन्स फ्रंट’ कश्मीर में हत्याएं कर रहा है। इसी प्रकार आईएसआईएस की ऑनलाइन मैगजीन ‘द वॉइस ऑफ हिंद’ का 17वां संस्करण भारत को काफिरों का देश बताकर जहर के बीज बो रहा है।

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‘षड्यंत्र’ अलग-अलग पर ‘षड्यंत्रकारी’ श्रोत एक

द वॉईस ऑफ हिंद – अंतरराष्ट्रीय आंतकवादी संगठन आईएसआईएस की डिजिटल मैगजीन का 17वां संस्करण आया है। इसमें भारत की आंतरिक गतिविधियों का उदाहरण देकर मुसलमानों को सरकार के विरुद्ध षड्यंत्र करने के लिए प्रेरित कर रहा है। डिजिटल मैगजीन के इस संस्करण में वह भारत को दक्षिण ‘एशिया का इजरायल’ बता रहा है। इसमें मुसलमानों को आतंकी गतिविधि के लिए उकसाने का पूरा प्रयत्न किया गया है। बाबरी मस्जिद विध्वंस, गुजरात दंगे और उसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री की भूमिका, कश्मीर से 370 की समाप्ति और लक्षद्वीप में वर्तमान प्रशासक के सुधार कार्यक्रमों को मुसलमानों के विरुद्ध बताने की भरपूर कोशिश की गई है।

मालदीव में भारत के बढ़ते सहयोग से भी इस आतंकी संगठन को बड़ी दिक्कत है। मैगजीन में सुझाए गए उसके तर्क पाकिस्तान और चीन के एजेंडे से भिन्न नहीं है, बस आईएसआईएस इसे भुनाने के लिए मुसलमानों के नाम का उपयोग कर रहा है।

द रेजिस्टेन्स फ्रंट – लश्कर ए तोयबा का हिस्सा है ‘द रेजिस्टेन्स फ्रंट’। यह कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता है, 22 जून, 2021 को इसने जम्मू कश्मीर पुलिस के निरिक्षक परवेज अहमद डार की गोली मारकर हत्या कर दी। अपने एक पत्र के माध्यम से इस संगठन ने हत्या की जिम्मेदारी अपने सिर ली है।

इसका गठन जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद किया गया है। यह लश्कर की परछाईं है, जिसमें कश्मीर में सक्रिय लश्कर के आतंकियो को एक्टिव किया गया और एक गैर इस्लामिक नाम देकर आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है। इस नए नाम के कारण फाइनेन्शियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे सूची में स्थित पाकिस्तान अपना पीछा छुड़ाने के प्रयत्न में है यानी पाकिस्तान की मंशा है ‘काम वही पर नाम नया’। अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों की की सूची में दर्ज लश्कर ए तोयबा का नाम हटाकर द रेजिस्टेन्स फ्रंट रखने से विश्व की आंख में धूल झोंकने का प्रयत्न ही है। इसके पहले गैर धार्मिक नाम का आतंकवादी संगठन रहा है 90 के दशक में सक्रिय जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ)।

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पन्नू का षड्यंत्र – गुरपतवंत सिंह पन्नू समेत अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया में बैठे खालिस्तानी आतंकी खंडा साहब का भी अपमान कर रहे हैं। वे सिख धर्म के पवित्र प्रतीक का उपयोग लोगों को एकजुट करके आतंक की आग में धकेलने के लिए कर रहे हैं। इसके पीछे परोक्ष रूप से भारत का कट्टर दुश्मन पाकिस्तान है। जिन दस लोगों को सुरक्षा एजेंसियों ने खालिस्तानी गतिविधियों को भड़काने के लिए आतंकवादी करार दिया है। उनमें से कई पाकिस्तान में बैठकर भारत विरोधी षड्यंत्र रच हैं।

Ο परमजीत सिंह पंजवार – लाहौर से खालिस्तान कमाडो फोर्स का संचालन करता है
वाधवा सिंह बब्बर – बब्बर खालसा एंटरनेशनल का प्रमुख वाधवा सिंह बब्बर भारत में खालिस्तानी आतंक को बढ़ावा देने के अलावा लाहौर से नकली भारतीय मुद्राओं को तस्करी के माध्यम से भेजता था।
Ο गजिंदर सिंह हाइजैकर – लाहौर से दल खालसा (इंटरनेशनल) के माध्यम से सिख ग्रंथियों के बल पर सिखों पर आधारित राजनीति को खालिस्तान के समर्थन में करने का षड्यंत्र करता रहा
Ο रणजीत सिंह नीता – यह भी लाहौर में बैठकर खालिस्तानी जिंदाबाद फोर्स चलाता है। इसके संगठन का जुड़ाव हिज्बुल मुजाहिद्दीन के साथ माना जाता रहा है। आरोप है कि ड्रोन के माध्यम से इसका आतंकवादी संगठन पंजाब में हथियार भेजता है।
Ο लखबीर सिंह रोडे – यह खालिस्तानी आतंकी जरनैल सिंह भिंडरावाले का भांजा है। इसके संगठन का नाम इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन है। यह ननकाना साहिब में रहता था और वहीं से यूरोप में खालिस्तान के लिए समर्थन जुटाता रहा है।
Ο गुरपतवंत सिंह पन्नू – यह अमेरिका में टैक्सी चलाता था, परंतु कुछ समय में ही इसके पास अकूत धन संपत्ति आ गई और अब यह ‘सिख फॉर जस्टिस’ (एसएफजे) के नाम से संगठन चलाता है। सूत्रों के अनुसार इसका न्यूयॉर्क में कार्यालय है जहां से पन्नू एसएफजे के लीगल एडवाइजर के रूप में काम संभालता है और वर्तमान में ‘खंडा या तिरंगा’ नाम से भारत विरोधी आतंकी षड्यंत्र चला रहा है। इसके पहले यह ‘रेफरेंडम 2020’ नाम से पंजाब में स्वतंत्र खालिस्तान निर्माण के लिए सिखों का जनमत संग्रह कराने की बांक दे रहा था, जो पूर्ण रूप से असफल हुआ। इसका संबंध पाकिस्तान में बैठे खालिस्तानी आतंकियों से सीधा रहा है तथा पाकिस्तानी दूतावास से इसे फंड मिलने की भी जानकारी मिलती रही है। पन्नू, कनाडा का गुरमीत सिंह, मनमंदर मो धालीवाल का सीधा संबंध भारत में चल रहे किसान आंदोलन से जोड़ा जाता रहा है। ये लोग टूलकिट बनवाने, वायरल करने, भारतीय दूतावासों के बाहर प्रदर्शन करने की गतिविधियों में लिप्त रहे हैं।

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