उत्तर प्रदेश धर्मांतरण मामले में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं। काजी जहांगीर और उमर गौतम की गिरफ्तारी के बाद से यह सिलसिला जारी है। इनसे पूछताछ में पहले जहां धर्मांतरण के रैकेट में विदेशों से फंड आने की बात का पर्दाफाश हुआ, वहीं बाद में इस रैकेट का संबंध देश के मोस्ट वांटेड जाकिर हुसैन नाइक से होने की जानकारी मिल रही है। बात यहीं खत्म नहीं हो जाती। अब मोहम्मद उमर गौतम और काजी जहांगीर के तार आतंकी संगठनों से जुड़े होने की भी जानकारी मिल रही है।
बताया जा रहा है कि मोहम्मद गौतम आतंकी संगठनो के साथ मिलकर धर्मांतरण के नाम पर बच्चों को आतंक फैलाने के लिए तैयार कर रहा था। इसके लिए उसने 60 से अधिक केंद्र खोल रखे थे। ये केंद्र धर्मांतरण कराने के साथ ही आतंकियों को भी तैयार करते थे। वे मूक-बधिर बच्चों को उनका धर्म परिवर्तन कराने के बाद जेहादी गतिविधियों में इस्तेमाल करने का षड्यंत्र रच रहे थे।
लखनऊ में स्कूल चलाता था मौलाना उमर
मामले में गिरफ्तार उमर गौतम लखनऊ से संचालित हो रही एक संस्था का पदाधिकारी भी है। वह लखनऊ की अल हसन एजुकेशन एंड वेलफेयर फाउंडेशन का वाइस प्रेसिडेंट है। वह अल हसन एजुकेशन एंड वेलफेयर फाउंडेशन लखनऊ के मलिहाबाद के रहमानखेड़ा में स्कूल चला रहा है। 10वीं तक सीबीएसई बोर्ड के इस स्कूल में 500 बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देने के नाम पर आतंक का पाठ पढ़ाया जाता है।
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ऐसे हुआ मामले का पर्दाफाश
शुरू में यूपी के नोएडा के सेक्टर 117 में डेफ सोसाइटी स्कूल में पढ़ने वाले मूक-बधिर दो बच्चों के धर्मांतरण का पर्दाफाश हुआ था। लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, पूरी सच्चाई पर से पर्दा उठने लगा। पता चला है कि मौलाना उमर गौतम गैंग केवल हिंदू ही नहीं, ईसाई, जैन और सिख परिवारों के बच्चों को भी बड़ी संख्या में धर्मांतरण करा चुका है। ये मूक-बधिर बच्चों को अपना निशाना बनाते थे और उन्हें पहले धर्मातंरण और बाद में जेहाद के लिए तैयार करते थे।
स्कूल की संचालिका से पूछताछ
नोएडा की डेफ सोसाइटी को सरकार से अनुदान मिलता था। स्कूल की संचालिका रोमा रोका से पूछताछ की जा रही है। यहां के विद्यार्थियों को बरगलाने के लिए कश्मीरी छात्रों का इस्तेमाल किया जाता था। रोमा ने इन सभी गतिविधियों से अनजान बनते हुए कहा है कि उसके स्कूल मे पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे गरीब और समाज से ठुकराए गए होते थे। इसीलिए उन्हें निशाना बनाना आसान हो सकता है। रोमा रोका ने खुद को बंगाली हिंदू बताया है, लेकिन एटीएस को उसकी बातों पर ज्यादा भरोसा नहीं है। इसलिए मौलानाओं के सामने बैठाकर उससे पूछताछ की जाएगी। फिलहाल दोनों मौलाना एक हफ्ते के लिए पुलिस रिमांड पर हैं।
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मानव बम बनाकर विदेश मे भेजने की थी साजिश
केवल भारत ही नहीं, मानव बम बनाकर विदेश मे भी उनके इस्तेमाल की साजिश रची जा रही थी। पाकिस्तान और अरब देशों से इसके लिए फंडिंग किए जाने का खुलासा हुआ है। गाजियाबाद के डासना मंदिर में घुसने वालों से भी इनके तार जुड रहे हैं। उस प्रकरण में गिरफ्तार विपुल, कासिफ और सलीमुद्दीन के तार कई इस्लामी कट्टरपंथी संगठनों से जुड़े होने का खुलासा हुआ है। सुरक्षा एजेंसियां अब मामले की तह तक पहुंचने की कोशिश कर रही हैं। जो जानकारी अभी तक मिली है, उसके अनुसार धर्मांतरण का मास्टरमाइंड उमर गौतम देश के 24 राज्यों के साथ ही केंद्र शासित प्रदेशों में भी बड़े पैमाने पर धर्मांतरण करा चुका है।
मुंबई-नागपुर तक जुड़े हैं तार
फिलहाल इनसे जुड़े 100 से ज्यादा बैंक अकाउंट की जांच की जा रही है। इन आतंकी संगठनों की फंडिंग के खेल मे कुछ सफेदपोश भी जुड़े हुए हैं। मुंबई में मौलाना मंजीर धरा गया है, जिसने विपुल का कलीमुद्दीन से संपर्क कराकार गाजियाबाद भेजा था। नागपुर का एक कट्टरपंथी संगठन भी रडार पर है। इसका महाराष्ट्र के साथ ही दक्षिण भारत में भी प्रभाव है। विपुल इसी संगठन से जुड़कर इस्लाम के प्रचार-प्रसार में लग गया था। गरीब परिवार से आने वाले विपुल का धर्मांतरण भी पैसे, नौकरी और शादी का लालच देकर करा दिया था। सलीमुद्दीन ने कासिफ की बहन से उसकी शादी कराकर उसके लिए यूनानी क्लिनिक भी खुलवा दिया था।