फोटोग्राफी और निगरानी के लिए इस्तेमाल होने वाले ड्रोन्स का अब आतंक फैलाने के लिए इस्तेमाल होने लगा है। भारत के जम्मू एयर फोर्स स्टेशन पर 26 जून की रात को कराए गए दो बम विस्फोट के लिए भी ड्रोन इस्तेमाल किए जाने की बात कही जा रही है। रडार और अन्य सेफ्टी सिस्टम को चकमा देने में सफल ये ड्रोन विश्व के किसी भी देश के लिए खतरनाक हो सकते हैं। इनका इस्तेमाल आर्मेनिया और अजरबैजान की लड़ाई में भी खूब होता रहा है। वहां से होते हुए यह अब पाकिस्तान जैसे आंतवादी देशों तक पहुंच गया है। खतरनाक बात यह है कि ये बायोलॉजिकल या केमिकल एजेंट्स भी डिलिवर कर सकते हैं।
ड्रोन कई प्रकार के होते हैं। इनमें छोटे ड्रोन जैसे क्वाडकॉप्टर, हेक्साकॉप्टर भी होते हैं। इसके साथ ही मिलिट्री ड्रोन भी होते हैं। ये अपने साथ बम और हथियार ले जा सकते हैं। इसके साथ ही अब दुश्मन एक साथ सैकड़ों ड्रोन से आक्रमण करने की योजना बना रहे हैं।
मानवरहित विमान
ड्रोन एक मानवरहित विमान है, जिसका मुख्य रुप से निगरानी करने के लिए किया जाता है। ये विमान या हेलीकॉप्टर से काफी छोटे होते हैं। 1990 में अमेरिका इनका इस्तेमाल मिलिट्री सर्विलांस के लिए करता था। लेकिन वक्त के साथ इसका इस्तेमाल के तौर-तरीके भी बदल गए हैं। इसके साथ ही इसके उपयोग के क्षेत्र भी बढ़े हैं।
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फिल्मों की शूटिंग से बम रखने तक के लिए इस्तेमाल
अब फिल्मों की शूटिंग,फोटोग्राफी, सामान की डिलीवरी से लेकर बम रखे जाने तक के लिए ड्रोन का इस्तेमाल होने लगा है। क्वाडकॉप्टर ऐसा ड्रोन है, जिसमें चार रोटर होते हैं। इनमें से दो क्लॉकवाइज और दो एंटी क्लॉकवाइज घूमते हैं। इनकी सहायता से ड्रोन को मनचाही दिशा में उड़ाया जा सकता है। इन्हें बनाना और नियंत्रित करना काफी आसान होता है।
कॉमर्शियल ड्रोन्स
कॉमर्शियल ड्रोन्स काफी छोटे होते हैं। इनका नियंत्रण भी काफी आसान होता है। इसके साथ ही इसमें ज्यादा आवाज नहीं होती। इन खूबियों के कारण यह आतंकवादियों की पहली पसंद बना हुआ है। ये आसानी से आसमान में डेढ़ दो घंटे उड़ सकते हैं। इनमें चार-पांच किलो वजन के सामान भेजे जा सकते हैं। इन्हें रडार के माध्यम से ट्रैक करना काफी मुश्किल होता है। इसलिए आतंकवादी इनका इस्तेमल कर बड़े से बड़े आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे सकते हैं। वे आसानी से हमला कर सकते हैं।
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आईएस की खास पसंद
आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट ने इराक और सीरिया में ड्रोन्स का इस्तेमाल करके भारी तबाही मचाई थी। इस तरह के छोटे ड्रोन्स और क्वाडकॉप्टर्स के माध्यम से पहली भार भारत में धमाके कराए गए हैं। भारत में आतंकवादी ड्रोन्स का इस्तेमाल करते रहे हैं। पिछले कुछ सालों से पाकिस्तानी आतंकवादियों ने इनका काफी इस्तेमाल करना शुरू किया है। उनके निशाने पर भारत ही होता है।
ड्रोन हमले का पहली बार इस्तेमाल
अक्टूबर 2001 में अफगानिस्तान में पहली बार ड्रोन हमले किए गए थे। उसके बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान के आलावा इराक, पाकिस्तान, सोमालिया,यमन, लीबिया और सीरिया में भी ड्रोन हमले किए। 2000 से पहले ड्रोन का इस्तेमाल केवल सेना की निगरानी के लिए किया जाता था। लेकिन 11 सितंबर 2001 को अमेरिका में अल कायदा के हमले के बाद सब कुछ बदल गया। अमेरिका ने अपने प्रीडेटर ड्रोन्स पर हथियार लगाने शुरू कर दिए। इसके साथ ही आतंकवादी संगठनों में भी ड्रोन्स हमले का इस्तेमाल बढ़ गया।
बढ़ेगा ड्रोन्स हमले का खतरा
विश्व के कई देश की सेनाएं निगरानी के लिए ड्रोन्स का इस्तेमाल करती हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार 2029 तक विश्व में 80 हजार से अधिक सर्विलांस ड्रोन्स और 2,000 से अधिक अटैक ड्रोन्स होंगे। अमेरिका, चीन, इजरायल, भारत, फ्रांस, आस्ट्रेलिया समेत बहुत से देश ड्रोन्स का इस्तेमाल करते हैं।