भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और भारत बायोटेक ने संयुक्त रूप से कोवैक्सीन का निर्माण किया है। जो कोरोना से रक्षा के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। इस टीके को लेकर अब अमेरिकी एजेंसी नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेेल्थ ने एक बड़ा खुलासा किया है। जिसके अनुसार कोवैक्सीन का टीका कोविड 19 के अल्फा और डेल्टा वेरियन्ट पर भी कारगर है।
विश्व में कोरोना के नए वेरियन्ट अल्फा B.1.17 और डेल्टा B.1.617 ने त्राहि मचा दी है। जिसके कारण कोरोना के कई टीके जो विश्व के अलग-अलग देशों ने निर्मित किये हैं वह कारगर नहीं हो रहे हैं। ऐसे में भारत के सौ प्रतिशत स्वदेशी टीके को लेकर अमेरिकी जांच एजेंसी की रिपोर्ट उल्लेखनीय है। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ, अमेरिका ने कहा है कि यह टीका 78 प्रतिशत सफल रहा है।
ये भी पढ़ें – महाराष्ट्रः विधानसभा के अध्यक्ष का चुनाव कब होगा? राज्यपाल ने मुख्यमंत्री से पूछा
एनआईएच ने गिनाया योगदान
एनआईएच ने सहा है कि उसके अनुदान से विकसित एडजुवेन्ट से भारतीय कोवैक्सीन कोविड 19 टीका सबसे प्रभावशाली है। यह अब तक 2.5 करोड़ लोगों को लग चुका है। इस विषय में अमेरिकी संस्था नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इनफेक्शियस डिजीज (एनआईएआईडी) के निदेशक डॉ.एन्थोनी एस फॉसी ने कहा है कि,
मुझे खुशी है कि नोवेल टीका एड्जुवेन्ट जिसका विकास अमेरिका में एनआईएआईडी की सहायता से हुआ, वह भारत में कोविड-19 पर प्रभावशाली है।
कोवैक्सीन में उपयोग किये गए एड्जुवेन्ट एल्हायीड्रोक्सीक्विम-II की खोज और जांच बायोटेक कंपनी वीकोवैक्स एलएलसी, लॉरेन्स, कंसास ने की प्रयोगशाला में हुआ है।
News: Adjuvant developed with NIH funding enhances efficacy of India’s COVID-19 vaccine https://t.co/iFLxvTvbG1
— NIH (@NIH) June 29, 2021
Join Our WhatsApp Community