पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी को बड़ा झटका लगा है। प्रदेश में चुनाव बाद की हिंसा पर कोलकाता उच्च न्यायालय ने उनकी सरकार को सभी मामलों में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही हिंसा के सभी प्रभावितों के उपचार के साथ ही उन्हें मुफ्त में राशन देने का भी आदेश दिया है। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि यह राशन उन लोगों को भी दिया जाना चाहिए, जिनके पास कार्ड नहीं है। ममता बनर्जी सरकार के लिए न्यायालय का यह आदेश बड़ा झटका माना जा रहा है।
बता दें कि प्रदेश में चुनाव बाद बड़े पैमाने पर हिंसा के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन ममता बनर्जी इन आरोपों को मानने से इनकार करती रही हैं। उनका कहना है कि ये आरोप मात्र राजनैतिक प्रॉपेगेंडा हैं, जो भारतीय जनता पार्टी द्वारा कराए जा रहे हैं।
मानवाधिकार आयोग की टीम का बढ़ा कार्यकाल
उच्च न्यायालय ने प्रत्येक हिंसा मामले में केस दर्ज करने के साथ ही मामलों की जांच कर रही मानवाधिकार आयोग की टीम के कार्यकाल को भी बढ़ा दिया है। अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम चुनावी हिंसा के मामलों की 13 जुलाई कर जांच करेगी। इसी दिन इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख भी उच्च न्यायालय ने निश्चित की है। इसके साथ ही उच्च न्यायालय की ओर से राज्य के मुख्य सचिव को आदेश जारी किया है कि वे चुनाव बाद हिंसा से जुड़े मामलों में दस्तावेज सुरक्षित रखें।
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टीम ने लगाया गंभीर आरोप
बता दें कि मानवाधिकार आयोग को जांच टीम गठित करने का आदेश भी उच्च न्यायालय ने ही दिया था। उसके बाद मानवाधिकार आयोग सदस्य राजीव जैन के नेतृत्व में 7 सदस्यीय टीम का गठन किया गया है। इस टीम ने पिछले दिनों जादवपुर का दौरा किया था और प्रभावितों से मुलाकात की थी। इस दौरान जैन ने आरोप लगाया था कि अराजक तत्वों ने उनकी टीम पर आक्रमण कर दिया। इससे पहले ममता बनर्जी से मानवाधिकार की टीम पर रोक लगाने की मांग की थी, लेकिन न्यायालय ने उनकी मांग को खारिज कर दिया था।