कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए बीएमसी की ये कैसी तैयारी?

मुंबई के गोरेगांव के नेस्को मैदान में मुंबई महानगरपालिका के भव्य कोविड स्वास्थ्य केंद्र के दूसरे चरण के तहत एक महीने पहले उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने 1,500 बिस्तरों का उद्घाटन किया था। उसके एक महीने बाद मरम्मत के नाम पर पहले चरण के केंद्र को बंद कर दिया गया।

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कोरोना की दूसरी लहर का कोप हर दिन कम हो रहा है, लेकिन संभावित तीसरी लहर को लेकर सतर्कता जरुरी है। इसके लिए केंद्र सरकार के साथ ही राज्य सरकारें और स्थानीय प्रशासन तैयार रहने के दावे कर रहे हैं। लेकिन मुंबई में ऐसा कुछ हुआ है, जिसे लेकर उनके दावों पर शक होना स्वाभाविक है।

मुंबई के गोरेगांव के नेस्को मैदान में मुंबई महानगरपालिका के भव्य कोविड स्वास्थ्य केंद्र के दूसरे चरण के तहत एक महीना पहले उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने 1,500 बिस्तरों का उद्घाटन किया था। उसके उद्घाटन के एक महीने बाद मरम्मत के नाम पर पहले चरण के केंद्र को बंद कर दिया गया और वहां के डॉक्टरों, नर्सों और वार्ड बॉय को काम से हटा दिया गया।

आधे वेतन पर काम पर रखे जा रहे हैं कर्मचारी
एक तरफ प्रशासन दावा कर रहा है कि यहां दूसरे चरण में 1,100 स्टाफ को तैनात किया गया है, वहीं दूसरी तरफ पहले चरण में निकाले गए कर्मचारियों को दूसरे चरण के ठेकेदार आधी सैलरी पर काम करने को कह रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि बीएमसी कोविड सेंटर मरीजों की देखभाल के लिए शुरू कर रहा है या ठेकेदारों के लिए।

मेल भेजकर दी गई जानकारी
प्रशासन ने दावा किया था कि मुंबई में संभावित तीसरी लहर को देखते हुए कोविड मरीजों के उपचार के लिए पूरी तैयारी की गई है। लेकिन अब पहले चरण में कोविड सेंटर के डॉक्टरों, नर्सों, वार्ड बॉय और अन्य कर्मचारियों को निकालकर 30 जून, 2021 से सेंटर को बंद कर दिया गया है। मनपा प्रशासन ने कहा कि पहले चरण के कोविड केंद्र की मरम्मत की जा रही है। इसके लिए फिलहाल इसे बंद करना होगा। इसके कर्मचारियों को मेल भेजकर कहा गया है कि उनकी सेवा समाप्त की जा रही है।

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अलग-अलग ठेकेदार
पहले चरण के निकाले गए इन कर्मचारियों को दूसरे चरण में ठेकेदार काम पर रखने को तैयार हैं। लेकिन अब उन्हें मिलने वाले वेतन के आधे पर ही काम करना पड़ेगा। खास बात यह है कि पहले चरण में डॉक्टरों, नर्सों, वार्ड बॉय और खानपान आदि के लिए अलग-अलग ठेकेदार थे, लेकिन दूसरे चरण में सभी कर्मचारियों और खानपान सेवाओं, सफाई आदि के लिए एक ही ठेकेदार है। सेंटर के दूसरे चरण को शुरू किए जाने के बाद पहले चरण के सेंटर में एक भी मरीज नहीं था। इसलिए मरम्मत के नाम पर ठेकेदार ने इसे बंद कर दिया।

क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि?
सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि स्टाफ कम करने के लिए ठेकेदार ने नेशनल डॉक्टर्स डे को चुना। भाजपा नगरसेवक पंकज यादव ने कहा है कि कोविड मरीजों की सेवा के लिए जान जोखिम में डालने वाले इन कर्मचारियों के साथ इस तरह का बर्ताव उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि इस पूरे प्रकरण में ऐसा लगता है कि प्रशासन दूसरे चरण के ठेकेदार की मदद कर रहा है। यादव ने कहा कि अगर कोरोना सेंटर की मरम्मत की जा रही है, तो भी स्टाफ को नौकरी पर रखा जा सकता था।

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