कोविड-19 से संघर्ष में उत्कृष्ट कार्य, प्रशांत कारूलकर को विश्वस्तरीय सम्मान

कारूलकर प्रतिष्ठान पिछले 52 वर्षों से समाज सेवा का कार्य कर रहा है। इसमें पालघर संत हत्याकांड में मारे गए कार चालक के परिवार की दोनों बच्चियों की शिक्षा का खर्च, कोरोना प्रभावितों की सहायता जैसे उत्कृष्ट कार्यों की सराहना समाज के सभी वर्गों से हो रही है।

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कोविड-19 महामारी के कारण संपूर्ण मानव जाति भयंकर दिक्कतों से गुजर रही है। इस महामारी के कारण उत्पन्न जीवन-मृत्यु के द्वंद में डॉक्टर, अग्रिम पंक्ति के कर्मियों ने संक्रमितों को दिन रात सेवाएं दीं। परंतु, समाज के आगे महामारी के संक्रमण मात्र की ही पीड़ा नहीं थी, लॉकडाउन के कारण भूख और दैनिक आवश्यकताओं की आपूर्ति भी बड़ी समस्या थी। ऐसे कठिन काल में औषधि, आर्थिक सहायता, अनाज, अस्पताल में भर्ती कराना और प्राण वायु आदि की सेवाएं दीं प्रशांत कारुलकर के ‘कारूलकर प्रतिष्ठान’ ने। उनके इस कार्य को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया और तीन विश्व स्तरीय संस्थाओं ने उनका सम्मान किया।

प्रशांत कारूलकर द्वारा संस्थापित कारूलकर प्रतिष्ठान को कोविड-19 प्रभावितों के लिए किये जा रहे कार्यों के लिए वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स – लंदन, साउथ एशियन चेंबर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्री सम्मान और इंडो-यूके कल्चरल फोरम द्वारा सम्मानित किया गया है। कारूलकर प्रतिष्ठान जिस वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स – लंदन से सम्मानित हुआ है उससे अभी तक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी, बिहार सरकार के मंत्री शहनवाज हुसैन समेत चुनिंदा प्रतिष्ठित प्रतिभाएं ही सम्मानित हुई हैं। इसके अलावा साउथ एशियन चेंबर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्री पुरस्कार केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के हाथों दिया गया। इसी प्रकार इंडो यूके कल्चरल फोरम सम्मान भी दोनों देशों की मैत्री का प्रतीक है, जो दोनों देशों की विशिष्ठ कार्य करनेवाली प्रतिभाओं को ही प्रदान किया जाता है।

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जहां आवश्यकता, वहां सेवा कार्य
प्रशांत कारूलकर और शीतल कारूलकर की मानव सेवार्थ संस्था है ‘कारूलकर प्रतिष्ठान’। प्रशांत कारूलकर ग्रामीण भागों में जरूरतमंदों को भोजन, औषधि, डेलीवरी चेन और गंभीर रूप से बीमारों के लिए स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करा रहे हैं। उनका यह सेवा कार्य वैसे तो देश भर में चल रहा है परंतु, महाराष्ट्र के वनवासी क्षेत्र पालघर, डहाणू, उमरगांव और तलासरी में यह स्थानीय लोगों में बहुत चर्चित है।

हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि तीसरी लहर के पहले किसी भी मजदूर, प्रवासी, वनवासी और अत्यावश्यक सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों के समक्ष भोजन, औषधि और आर्थिक दिक्कत खड़ी न हो।

प्रशांत कारूलकर, संस्थापक – कारूलकर प्रतिष्ठान

कारूलकर प्रतिष्ठान ने कोरोना के उपचार हेतु 25 लाख रुपए के माध्यम से महाराष्ट्र में 12 एंबुलेंस, अनाज, जीवनावश्यक औषधियां उपलब्ध कराई हैं। जिला अस्पतालों को विना मूल्य ऑक्सीजन सिलेंडर और वेंटिलेटर उपलब्ध कराने के लिए अनुबंध किया है। इसके अलावा इस लहर में अब तक 10 लाख रुपए मूल्य के पीपीई किट भी वितरित किये हैं। इस कार्य में कारूलकर प्रतिष्ठान का सिद्धांत है ‘जहां आवश्यकता, वहां सेवा’।

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‘हर चेहरे पर मुस्कान’
कारूलकर प्रतिष्ठान के प्रशांत कारूलकर और शीतल कारूलकर कोरोना की दूसरी लहर में भी जनसेवा को निर्बाध रूप से चला रहे हैं। इस अभियान में उनका सेवा मंत्र है ‘हर चेहरे पर मुस्कान’। अपने इन कार्यों के अंतर्गत प्रतिष्ठान ने ग्रामीण अंचल की ओर भी विशेष लक्ष्य केंद्रित किया। इसमें कोविड टेस्ट, दवाइयां, 1500 से अधिक ऑक्सीजन सिलेंडर और अस्पतालों में बेड उपलब्ध कराए। उनके इस कार्या का महाराष्ट्र के राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने भी सम्मान किया। राज्यपाल ने कारूलकर प्रतिष्ठान को ‘कोरोना देवदूत’ का प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।

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