महाराष्ट्र विधानमंडल का मानसून सत्र 5 और 6 जुलाई को होने वाला है। यह दो दिवसीय सत्र काफी हंगामेदार रहने की उम्मीद है। मानसून सत्र की पूर्व संध्या पर एक संवाददाता सम्मेलन में विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने अपना इरादा व्यक्त कर दिया है।
फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र में 100 से अधिक मुद्दे हैं। इन पर चर्चा होनी चाहिए, लेकिन इन सब पर कोई बात नहीं कर रहा है। विपक्ष के नेता ने कहा कि हम सदन में जो कुछ कहा जा सकता है, वो कहेंगे। लेकिन अगर इन्हें लगता है कि ये लोकतंत्र को खत्म कर देंगे तो हम ऐसा नहीं होने देंगे। सदन में जो मुद्दे नहीं रख सकते, उन्हें मीडिया या सड़क पर उतरकर उठाएंगे।
कम दिनों तक सत्र चलाने का रिकॉर्ड
फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार मानसून सत्र कम से कम रखने का रिकॉर्ड बना रही है। उन्होंने कहा कि यह इस सरकार का आठवां सत्र है और कुल मिलाकर केवल 38 दिन सत्र चले हैं। कोरोना महामारी के समय कुल मिलाकर 14 दिन ही सत्र चले।
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लोकतंत्र को खत्म करना चाहती है सरकार
फडणवीस ने आरोप लगाया कि सरकार ने कहा है कि 35 दिन पहले जो प्रश्न भेजे गए थे, उस पर कोई बात नहीं होगी। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में आरक्षण के मुद्दे हैं। ओबीसी आरक्षण, मराठा आरक्षण, किसानों के मुद्दे, कोरोना के मुद्दे, लॉकडाउन जैसे कई मुद्दे हैं। लेकिन इस सरकार के पास इन मुद्दों पर बोलने के लिए कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति में दो दिन का मानसून सत्र बुलाया जाना लोकतंत्र का मजाक है। महामारी के नाम पर लोकतंत्र को खत्म किया जा रहा है। यह सरकार सत्र में विपक्ष का सामना नहीं करना चाहती।