कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे और पूर्व गृहराज्य मंत्री कृपाशंकर सिंह ने भारतीय जनता पार्टी में प्रवेश कर लिया है। वे लंबे काल से कांग्रेस की मुख्यधारा से अलग थलग थे और अपने राजनीतिक पुनर्वास की प्रतिक्षा में थे। वैसे, भाजपा के लेकर उनके सुरों में नरमी से उनके भाजपा में प्रवेश की अटकलें लंबे काल से लग रही थीं। अब सबसे बड़ा मुद्दा है कि क्या संघ के भी हो पाएंगे ‘कृपा’?
कृपाशंकर सिंह भारतीय जनता पार्टी के नेता हो गए। कृपा को किसी बड़े राजनीतिक बैनर की कृपा चाहिये थी, तो भाजपा को मुंबई में चर्चित उत्तर भारतीय चेहरा चाहिए था। जिसकी पूर्ति करने के लिए भाजपा और कृपाशंकर सिंह का साथ संभव हुआ है। परंतु, कृपाशंकर सिंह द्वारा राष्ट्रीय स्वयं संघ के विरोध में दिये गए बयान भी क्या भुला दिये जाएंगे यह सबसे बड़ा प्रश्न है।
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मनपा चुनाव लिटमस टेस्ट
भाजपा प्रवेश के बाद कृपाशंकर सिंह का पहला लिटमस टेस्ट होगा मुंबई महानगर पालिका चुनाव। पिछले कुछ महीनों के दौरान वे शहर में ‘परिश्रम यात्रा’ के माध्यम से उत्तर भारतीय समाज के लोगों से मिल रहे थे। इसमें वे कई कार्यक्रमों में सम्मिलित हुए। मुंबई महानगर क्षेत्र में लगभग 40 लाख उत्तर भारतीय रहते हैं। इस जनसंख्या का मतदान में 20 से 25 प्रतिशत का हिस्सा है। कई क्षेत्र तो ऐसे हैं जहां उत्तर भारतीय मतदाता का रुझान ही निर्णायक सिद्ध होता है, इसमें सबसे अधिक प्रभावशाली क्षेत्र दहीसर से पालघर का है।
इस मुद्दे पर छोड़ दिया हाथ
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त किये जाने का समर्थन करते हुए कृपा शंकर सिंह ने 10 सितंबर 2019 को कांग्रेस से त्यागपत्र दे दिया था। तभी से उनके भाजपा में प्रवेश को लेकर अटकलें लग रही थीं। इस बीच एक और बयान उन्हें दिक्कत में डाल सकता है। 2010 में एक कट्टरवादी विचारक द्वारा 26/11 आतंकी हमले पर एक किताब लिखी गई थी। जिसमें राष्ट्रीय स्वयं संघ पर इस हमले की ठीकरा फोड़ा गया था। उस पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में दिग्विजय सिंह, महेश भट्ट, मौलाना महमूद मदनी के साथ कृपा शंकर सिंह भी सम्मिलित थे।