भारत सरकार के आईटी नियमों को मानने में आनाकानी कर रहे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर चौतरफा शिकंजा कसा जा रहा है। भारत सरकार के कड़े रुख के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने उसे स्पष्ट कर दिया है कि अगर ट्विटर भारत के नए आईटी नियमों पर अमल नहीं करता है तो उसे किसी तरह का कानूनी संरक्षण नहीं दिया जा सकता। न्यायालय की इस टिप्पणी के बाद ट्विटर की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। अब भारत सरकार ट्विटर पर कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र हो गई है।
न्यायालय ने ट्विटर की ओर से अब तक भारत में शिकायत अधिकारी नियुक्त न करने के कारण सहित सभी अंतरिम अधिकारियों के बारे में एफीडेविट मांगा है। एफीडेविट में कंपनी को यह वादा करना होगा कि वह भारत सरकार द्वारा सौंपे गए टास्क की जिम्मेदारी लेती है।
8 सप्ताह का मांगा समय
केस की सुनवाई के दौरान ट्विटर ने कहा कि उसे भारत में अधिकारी नियुक्त करने के लिए 8 सप्ताह का समय चाहिए। इससे पहले उच्च न्यायालय ने 5 जुलाई को ट्विटर को दो दिन का समय दिया था।
ट्विटर ने यह कहा
दिल्ली उच्च न्यायालय ने ट्विटर से कहा कि उसने भारत में अंतरिम अनुपालन की नियुक्ति कर दी है, जो भारतीय नागरिक है। इसके साथ ही सोशल मीडिया कंपनी ने कहा कि अंतरिम शिकायत अधिकारी की नियुक्ति 11 जुलाई तक कर दी जाएगी और दो सप्ताह में अंतरिम नोडल संपर्क अधिकारी की भी नियुक्ति कर दी जाएगी। साथ ही ट्विटर ने न्यायालय से कहा कि वह 11 जुलाई तक पहली अनुपालन रिपोर्ट जारी करेगा।
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नहीं मिलेगा मनमाना समय
इससे पहले उच्च न्यायालय ने ट्विटर से कहा था कि भारत उसे अंतरिम अधिकारी नियुक्ति के लिए मनमाना समय नहीं दे सकता। उच्च न्यायालय की जस्टिस रेखा पल्ली ने कहा कि आपकी प्रक्रिया पूरी होने में आखिर कितना समय लगेगा? यदि ट्विटर यह सोचता है कि उसे इसके लिए मनमाना समय मिलेगा, तो ऐसा नहीं किया जाएगा।
अंतरिम शिकायत अधिकारी ने दिया त्याग पत्र
पिछले महीने ट्विटर के अंतरिम शिकायत अधिकारी धर्मेंद्र चतुर ने त्याग पत्र दे दिया था। उसके बाद ट्विटर ने इस पद पर भारत में जेरेमी केरस को नियुक्त किया है। हालांकि भारत के नए आईटी नियम के अनुसार इस पद पर किसी भारतीय को नियुक्त करना जरुरी है।