क्या सचमुच नाराज हैं मुंडे? पंकजा की आंखें क्यों डबडबाई?

नाराजगी की खबरों के बीच पंकजा मुंडे मीडिया के सामने आई और विभिन्न चर्चाओं पर विराम लगा दिया।

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केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्रीपद न मिलने पर मुंडे पुत्रियां नाराज हैं, ऐसी चर्चा जोरों से थीं। विस्तार के तीन दिन बाद इस मुद्दे पर खुद पंकजा मुंडे ने अपना पक्ष रखा है। उन्होंने नवनियुक्त मंत्रियों को शुभकामनाएं दीं। परंतु, पत्रकारों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए उनकी आखें भर आई।

याद आए पिता
प्रश्नों का उत्तर देते हुए पंकजा मुंडे ने कहा है कि उन्हें और डॉ.प्रीतम मुंडे को कोई नाराजगी नहीं है। उन्होंने कहा है कि, दोनों बहनों ने कभी किसी पद की मांग नहीं की। उनकी शुभकामनाएं हैं। जब किसी कार्यकर्ता का कद बढ़ता है तो नेता को खुशी होती है। इसलिए जिन्हें पद मिला है उससे पार्टी की शक्ति बढ़ेगी। इस वार्तालाप के दौरान पंकजा मुंडे की आंखे डबडबा गई थीं, जिस पर उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें पिता की याद आ गई थी, इसलिए ऐसा हुआ है।

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नए लोगों को अवसर देने में दिक्कत नहीं
पंकजा मुंडे ने मीडिया के समक्ष अपने ट्वीट पर सफाई दी। जिसमें उन्होंने लिखा था कि प्रीतम मुंडे मुंबई में ही हैं, इसके बाद नाराजगी की चर्चा शुरू हो गई थी। अब पंकजा मुंडे ने कहा है कि मंत्री पद के लिए मात्र डॉ.प्रीतम मुंडे का ही नाम नहीं था बल्कि डॉ.हिना गावित का नाम भी था परंतु मंत्री पद उन्हें दिया गया जिनका नाम चर्चा से बाहर था। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने नए लोगों को अवसर दिया है यह स्वागतेय है।

टीम देवेंद्र, टीम नरेंद्र यह मान्य नहीं
पंकजा मुंडे ने कहा कि, भारतीय जनता पार्टी में टीम देवेंद्र, टीम नरेंद्र जैसा कुछ भी मान्य नहीं होता। वहां राष्ट्र प्रथम है उसके बाद पार्टी और उसके व्यक्ति होता है। भाजपा में ‘मैं’ जैसा कुछ नहीं होता।

आरक्षण दिलाने पर नए मंत्री करें काम
आरक्षण के मुद्दे पर पंकजा मुंडे ने स्पष्ट किया कि नए मंत्रियों की ओर राज्य के लोग बड़ी आशा से देख रहे हैं। मुझे भी अपेक्षा है कि ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर हमारे नए मंत्री केंद्र से जो भी आवश्यकता होगी उसे पूरा करेंगे। ओबीसी आरक्षण के बिना कोई भी चुनाव नहीं लिये जाने चाहिए।

मुंडे बहनों की राजनीतिक पृष्ठभूमि
प्रीतम मुंडे बीड से दूसरी बार सांसद हैं। उनकी बहन पंकजा मुंडे विधान सभा चुनाव में खड़ी हुई थीं परंतु उन्हें अपने चचेरे भाई धनंजय मंडे के हाथों ही पराजय का मुंह देखना पड़ा। इसके बाद राष्ट्रीय राजनीति में पंकजा को भाजपा ने पद दिया। परंतु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले मंत्रिमंडल विस्तार में स्थान न मिलने से मुंडे बहनों के नाराज होने की चर्चा चल पड़ी।

कराड और पवार का मंत्री पद खटका?
डॉ.भागवत कराड को गोपीनाथ मुंडे का नजदीकी माना जाता है और दूसरी ओर भारती पवार को मंत्री पद दिये जाने के बाद नाराजगी की चर्चा रंग गई। हालांकि, इस मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट कर चुके हैं, पार्टी में कहीं कोई नाराजगी नहीं है। ऐसी चर्चाओं का गलत प्रचार न किया जाए।

ओबीसी समाज को साथ लेने का प्रयत्न
डॉ.भागवत कराड, वंजारी (ओबीसी) समाज से हैं, जबकि मुंडे परिवार भी ओबीसी समाज का प्रतिनिधित्व करता रहा है। इसलिए जब कराड को मंत्रिपद दिया गया तो नाराजगी मुंडे परिवार को होना स्वाभाविक माना जा रहा था। गोपीनाथ मुंडे ने भारतीय जनता पार्टी को महाराष्ट्र में स्थापित करने के लिए बड़ी भूमिका निभाई थी। अब उनकी दो पुत्रियां प्रीतम मुंडे और पंकजा मुंडे राजनीति में हैं और पंकजा मुंडे ने अपने पिता की विरासत को संभाला है, जबकि डॉ.प्रीतम मुंडे पिता के आकस्मिक निधन के बाद राजनीति में आई हैं। मुंडे परिवार राज्य की राजनीति में प्रमुख चेहरा माना जाता रहा है, उन्होंने जातिगत समीकरण से ऊपर उठकर कार्य किया है। पंकजा मुंडे ने भी इसी का उदाहरण देते हुए कहा है कि, वे मराठा समाज के आरक्षण, ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर सतत कार्य कर रही हैं, उनके लिए जातिगत समीकरण कुछ नहीं है। नए मंत्रियों के माध्यम से समाज के अधिक लोगों को पार्टी से जोड़ने का प्रयत्न पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने किया है।

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