जानें क्या है विस्तारवादी चीन की नई घातक चाल… वैश्विक स्तर पर हुआ बवाल

अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से खींचतान चल रही है। इसमें चीन अपनी आर्थिक संपन्नता के बल पर धौंस जमाने के पयत्न में है। परमाणु हथियारों की संख्या में बढ़ोत्तरी उसके कूटनीतिक दबाव तंत्र का हिस्सा माना जा रहा है।

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चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों के अनुरूप अब नई चाल चल रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार वह उत्तर-पश्चिम के रेगिस्तान क्षेत्र में सौ से अधिक मिसाइल साइलो बना रहा है। इस संबंध में एक व्यावसायिक सैटेलाइट ने तस्वीरें भी साझा की हैं। जिसके बाद वैश्विक रूप से उस पर चिंता व्यक्त की जा रही है।

चीन की विध्वंसक नीतियों का परिणाम क्या होगा? इस पर संयुक्त राष्ट्र में कॉन्फ्रेन्स ऑन डिसआर्मामेन्ट पर चर्चा हो रही है। इस बीच एक व्यावसायिक सैलेटाइट ने चीन के उत्तर-पश्चिम रेगिस्तान की तस्वीरें जारी की हैं। जिसमें युमन क्षेत्र में 119 मिसाइल साइलो निर्माण की खुलासा हुआ है।

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परमाणु आयुध संयुक्त साइलो
रिपोर्ट के अनुसार सैटेलाइट से प्राप्त तस्वीरों के अनुसार परमाणु आयुध युक्त साइलो जैसे ही ये निर्माण दिख रहे हैं। इसको देखते हुए अमेरिका ने सायरन बजा दिया है। इस संदर्भ में डिसार्मामेन्ट कॉन्फ्रेन्स में अमेरिका के राजदूत रॉबर्ट वुड ने भी चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि, यह सभी के हित में है कि परमाणु शक्तियां परमाणु खतरे के संदर्भ में एक दूसरे से सीधे बात करें।

अमेरिकी कंपनी ने चेताया
चीन की नई चालबाजी के प्रति अमेरिकी निजी क्षेत्र की कंपनी प्लैनेट लैब और मिडलबरी इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज ने तस्वीरें जारी करके आगाह किया है।

बसा दिया मिसाइलों का शहर
तस्वीरों में स्पष्ट दिख रहा है कि जनवरी 2021 तक युमेन का क्षेत्र सामान्य रेगिस्तान जैसे ही था, परंतु अचानक यहां सैकड़ो साइलो बने हुए दिख रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञों के अनुसार चीन के पास 250 से 350 परमाणु आयुध हैं।

भारत के लिए चिंता नहीं
चीन द्वारा साइलो निर्माण पर रक्षा विशेषज्ञों की अलग राय है।

यह भारत के लिए चिंता का विषय नहीं है। परमाणु हथियार के नंबर का कोई अर्थ नहीं है, ये पॉलिटिकल दबाव का माध्यम है। भारत के सभी क्षेत्र चीन की पहुंच में हैं परंतु भारत की सेकंड स्ट्राइक क्षमता विकसित है। हमारे हथियार अलग-अलग स्थानों पर तैनात हैं। हम जल,थल,नभ और पनडुब्बी के माध्यम से सक्षम हैं उत्तर देने में। हमारी आज की आवश्यकता है हधियारों का आधुनिकीकरण और उन्नत किस्म के आयुध का विकास। चीन द्वारा साइलो का निर्माण अमेरिका से चल रही उसकी रस्साकसी के कारण है। परंतु, अमेरिका की तुलना में चीन  तकनीकी क्षमता, परमाणु हथियारों की संख्या, गुणवत्ता में बहुत पीछे है। ऐसे में चीन की आर्म्स रेस उसकी अर्थव्यवस्था पर ही बोझ डालेगा। जिस हथियार स्पर्धा में रूस बर्बाद हुआ उसी राह पर चीन भी बढ़ रहा है क्योंकि अमेरिका की तुलना में उसकी अर्थव्यवस्था बहुत पीछे है।

ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) हेमंत महाजन – रक्षा विशेष

चीन की ताकत
50 से 75 अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम)
4 परमाणु मिसाइल लैस पनडुब्बियां
एच-6 बमवर्षक
एच-20 अत्याधुनिक बमवर्षक

परमाणु शक्तियों की क्षमता
रूस और अमेरिका विश्व में सबसे अधिक परमाणु आयुध संपन्न देश हैं। जिनकी परमाणु आयुध से लैस मिसाइल, बम वर्षक और पनडुब्बियां हमेशा तैनात रहती हैं।

अमेरिका के पास 5,800 परमाणु हथियार, जिसमें से 1,373 तैनाती में
रूस के पास 6,375 परमाणु हथियार हैं, जिसमें से 1,326 तैनाती में

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क्या है साइलो?
यह एक सिलेंडर जैसा गड्ढा होता है। जिसमें अंतरमहाद्वीपीय परमाणु बैलिस्टिक मिसाइलों को रखा जाता है। इन मिसाइलों को जब छोड़ने की आवश्यकता पड़ती है तो यहीं से इसे ढक्कन खोलकर प्रक्षेपित किया जा सकता है।

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