स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक द्वारा पर्वतारोहण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए शिखर सावरकर पुरस्कार प्रदान किया जाता है। वर्ष 2020 में आए कोरोना महामारी के संकट के बाद जनहितार्थ पुरस्कार समारोह को ऑनलाइन किया गया था। परंतु, सम्मान पत्र और स्मृति चिन्ह वितरण अभी होना था, जिसे अब प्रदान किया गया।
स्वातंत्र्यवीर सावरकर के नैतिक मूल्यों और उनकी सामाजिक चेतना के विकास के उद्देश्यों को लेकर स्वातंत्र्यवीर सावरकर स्मारक, मुंबई में कई शैक्षणिक वर्ग चलाता है, जिसमें पर्वतारोहण भी है। सावरकर स्मारक का उद्देश्य शिक्षा के साथ-साथ इस क्षेत्र के योद्धाओं का सम्मान भी है। इस कार्य के अनुरूप शिखर सावकर पुरस्कार का आयोजन किया जाता है। पिछले वर्ष शिखर सावरकर पुरस्कार से सम्मानित विभूतियों को कोरोना दिशानिर्देशों के पालन के कारण बुलाया नहीं जा सका था। यद्यपि, उनकी पुरस्कार राशि ऑनलाइन भेज दी गई थी परंतु, ट्रॉफी और सम्मान पत्र का वितरण बाकी था। जिसे 9 जुलाई को स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक में प्रदान किया गया। इस अवसर पर स्वातंत्र्यवीर सावरकर स्मारक की कोषाध्यक्ष मंजिरी मराठे, कार्यवाह राजेंद्र वराडकर, सहकार्यवाह स्वप्निल सावरकर, समिति सदस्य के.सरस्वती आदि उपस्थित थी।
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प्रतिभाओं का उत्साहवर्धन
इस पुरस्कार के माध्यम से पर्वतारोहण क्षेत्र की श्रेष्ठ प्रतिभाओं, संस्थाओं को सम्मानित किया जाता है। प्रथम शिखर सावरकर जीवन गौरव पुरस्कार 2020 से कर्नल (सेवानिवृत्त) प्रेमचंद को सम्मानित किया गया था। शिखर सावरकर दुर्ग संवर्धन पुरस्कार से शिवदुर्ग मित्र, लोनावाला को सम्मानित किया गया था। जबकि, शिखर सावरकर व्यक्तिगत पुरस्कार से सूरज मालुसरे को सम्मानित किया गया था।
‘शिखर सावरकर दुर्ग संवर्धन पुरस्कार’
पर्वतारोहण, दुर्ग संवर्धन, खेल प्रोत्साहन और सेवा कार्यों के लिए प्रथम ‘शिखर सावरकर दुर्ग संवर्धन पुरस्कार’ से ‘शिवदुर्ग मित्र, लोनावाला’ को सम्मानित किया गया था। 1980 में वि.का गायकवाड द्वारा शुरू की गई यह संस्था दुर्ग संवर्धन और दुर्ग भ्रमण के उद्देश्य को लेकर चली थी लेकिन, कालांतर में दुर्गम पहाड़, झरने और गहरी खाइयों में होनेवाली घटनाओं की स्थिति में नि:शुल्क बचाव कार्य, खेलों में प्रतिभाओं का विकास और जीवदया का कार्य इसकी पहचान बन गई। संस्था की ओर से योगेश उंबरे, ओमकार पडवल, अनिकेत देशमुख और प्रवीण डोखले ने सम्मान पत्र और ट्रॉफी प्राप्त किया।
‘शिखर सावरकर व्यक्तिगत पुरस्कार’
पर्वतारोहण के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रथम ‘शिखर सावरकर व्यक्तिगत पुरस्कार’ से श्री सूरज मालुसरे को सम्मानित किया था। इस क्षेत्र की विभिन्न विधाओं समेत रॉक क्लाइंबिंग और आर्टिफीशियल वॉल क्लाइंबिंग में उन्होंने बहुत ही कम समय में दक्षता अर्जित की। सह्याद्री पर्वतमालाओं की खड़ी चट्टानें, गहरी खाइयां और छत्रपति शिवाजी महाराज के गौरवशाली इतिहास के साक्षी दुर्गम, अविजित किलों पर आपने सफलतापूर्वक चढ़ाई पूरी की।