देश-दुनिया में कोरोना की तीसरी लहर से चिंता के बीच कांवड़ यात्रा को लेकर सस्पेंस बना हुआ है। सर्वोच्च न्यायालय की सख्ती के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार ने आस्था के इस पर्व पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने से इनकार किया है। सरकार की ओर से न्यायालय में कहा गया है कि प्रदेश में कांवड़ यात्रा पर पूरी तरह रोक नहीं रहेगी,सांकेतिक रुप से कांवड़ यात्रा जारी रहेगी।
सर्वोच्च न्यायालय ने यूपी सरकार के इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की सलाह दी है। न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि वह सीमित संख्या में तीर्थयात्रियों के साथ ही राज्य के अंदर कांवड़ यात्रा की अनुमति देने के अपने निर्णय पर पुनर्विचार करे। न्यायालय ने कांवड़ यात्रा पर पूरी तरह से रोक लगाने की सलाह दी है। इस बारे में यूपी सरकार को 19 जुलाई तक जवाब प्रस्तुत करना है।
नागरिकों का स्वास्थ्य और जीवन का अधिकार सर्वोपरि
जस्टिस आरएफ नरीमन के नेतृत्व वाली पीठ ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया था। न्यायायल ने कहा कि भारत के नागरिकों का स्वास्थ्य और जीवन का अधिकार सर्वोपरि है। अन्य सभी तरह की भावनाएं चाहे धार्मिक हों, वे मौलिक अधिकार के अधीन हैं। यूपी सरकार ने पीठ को बताया कि यात्रा प्रतीकात्मक होगी और इसमें कुछ लोग ही भाग लेंगे।
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सॉलिसिटर जनरल की सलाह
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि राज्य सरकार श्रद्धालुओं को गंगाजल उपलब्ध करा सकती है। 16 जुलाई को केंद्र ने न्यायालय में कहा कि कांवड़ यात्रा को उत्तराखंड जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, हालांकि गंगाजल को ऐसी जगह उपलब्ध करवाना चाहिए, ताकि कावड़िएं पास के शिव मंदिर में पूजा कर सकें।
उत्तराखंड सरकार ने लगाई रोक
बता दें कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ यात्रा पर पूरी तरह रोक लगा दी है। इस यात्रा को लेकर उत्तराखंड पुलिस सख्त हो गई है। 24 जुलाई से हरिद्वार बॉर्डर को कांवड़ियों के लिए सील कर दिया जाएगा। डीजीपी की ओर से ये निर्देश जारी किए गए हैं।