शिक्षा और नौकरियों में मराठा आरक्षण रद्द होने के बाद विपक्ष के निशाने पर चल रही महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार एक बार फिर इसके लिए सक्रिय हो गई है। इसी क्रम में महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र सरकार से 50 प्रतिशत आरक्षण की संवैधानिक सीमा को शिथिल करने की मांग की है।
मराठा आरक्षण मामले की उपसमिति के अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने केंद्र से यह मांग करते हुए कहा है कि राज्यों को मात्र ओबीसी को आरक्षण देने के अधिकार देने का कोई उपयोग नहीं होगा। केंद्र सरकार द्वारा 50 प्रतिशत आरक्षण की मर्यादा को शिथिल करने के बाद ही मराठा समुदाय को आरक्षण देना संभव हो पाएगा।
महाराष्ट्र के मानसून सत्र में प्रस्ताव पास
बता दें कि महाराष्ट्र विधानमंडल के हाल ही में संपन्न हुए मानसून सत्र में एक प्रस्ताव पारित किया गया है। उसमें केंद्र सरकार से आरक्षण की सीमा को शिथिल करने की सिफारिश करने का प्रस्ताव है। मिली जानकारी के अनुसार मराठा आरक्षण मामले की उप-समिति के अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने पिछले दो दिनों में नई दिल्ली में कई नेताओं से मुलाकात की है। इस दौरान उन्होंने संसद के मानसून सत्र में 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को शिथिल करने के मुद्दे पर चर्चा की।
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चव्हाण ने इन नेताओं से की मुलाकात
मराठा आरक्षण के लिए अपने प्रयासों के तहत अशोक चव्हाण ने दिल्ली में राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम के साथ ही शिवसेना सांसद संजय राउत से भी चर्चा की है। इनसे मिलने से पहले वे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार से भी मिल चुके हैं।
एमवीए की यह है नीति
बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ ने मराठा आरक्षण मामले में फैसला सुनाया था कि 2018 में मौजूदा केंद्र सरकार द्वारा संविधान में 102वें संशोधन के बाद राज्यों को ओबीसी के आरक्षण के लिए कानून बनाने का अधिकार नहीं है। इसलिए अब केंद्र सरकार द्वारा राज्यों के इस अधिकार को बहाल करने के लिए संविधान में एक बार फिर संशोधन किए जाने की संभावना है। यदि केंद्र संसद के वर्तमान मानसून सत्र में संविधान संशोधन का प्रस्ताव लाता है, तो महाराष्ट्र के सांसद आरक्षण में 50 प्रतिशत की संवैधानिक सीमा को शिथिल करने की मांग कर सकते हैं।