कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर करीब 8 महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान यूनियन के लोगों को केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने ‘मवाली’ कहते हुए उनकी तीव्र आलोचना की है। उन्होंने कहा कि वे किसान नहीं ‘मवाली’ हैं।
मीनाक्षी लेखी ने कहा कि इसका संज्ञान भी लिया जाना चाहिए कि ये आपराधिक गतिविधियां हैं। 26 जनवरी को जो हुआ, वो शर्मनाक था, आपराधिक गतिविधियां थीं। उन्होंने कहा कि वे किसान नहीं मवाली हैं। किसानों के पास समय नहीं है, वे खेत में काम कर रहे हैं।
एक नैरेटिव को आगे बढ़ाने का आरोप
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस प्रदर्शन की आड़ में कुछ बिचौलियों की मदद की जा रही है। किसान आंदोलन की आड़ में पॉलिटिकल एजेंडे को धार दी जा रही है और केवल एक नैरेटिव को आगे बढ़ाया जा रहा है। नई दिल्ली लोकसभा सीट से जीत हासिल करने वाली मीनाक्षी लेखी को भाजपा का फायर ब्रांड नेता माना जाता है।
कृषि मंत्री ने दिए बातचीत के संकेत
दूसरी ओर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रदर्शन कर रहे किसान यूनियन के लोगों से बातचीत के जरिए समाधान निकालने पर जोर दिया है। उनकी ओर से कहा गया कि सरकार बातचीत करने के लिए तैयार है।
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जंतर मंतर पर किसान कर रहे हैं आंदोलन
बता दें कि दिल्ली सरकार और पुलिस से अनुमति मिलने के बाद 22 जुलाई से जंतर मंतर पर तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। 200 किसानों में संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के साथ ही भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत भी शामिल हैं।
राकेश टिकैत ने जताई नाराजगी
किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने मीनाक्षी लेखी के आंदोलनकारी किसानों को मवाली कहे जाने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि किसान के बारे में ऐसी बात नहीं कहनी चाहिए। किसान देश के अन्नदाता हैं। शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन करने का यह एक तरीका है। जब तक संसद चलेगी, तब तक हम यहां आते रहेंगे। सरकार चाहेगी तो बातचीत शुरू की जाएगी।
‘पेगासस जासूसी के आरोप में दम नहीं’
पेगासस जासूसी कांड पर मीनाक्षी लेखी ने कहा कि इसके लिए फेक नैरेटिव बनाने का प्रयास किया जा रहा है। ये कहानी बिलकुल फेक है। येलो पेज पर एक लिस्ट बना ली गई है और उसके जरिए संसद में हंगामा किया जा रहा है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पहले ही इस लिस्ट से पल्ला झाड़ लिया है और एएसओ भी इस बारे में अपना पक्ष रख चुका है। इस स्थिति में इस विरोध के जरिए देश को बदनाम किया जा रहा है।