उत्तर भारतीयों को खींचने के लिए भाजपा का ‘ऐसा’ है गेम प्लान

मुंबई मनपा में भाजपा के हिस्से कुछ नहीं आया। शिवसेना का साथ छूटने से सत्ता में नहीं है और दूसरा सबसे बड़ा दल होने के बाद भी विपक्ष का नेता पद भी नहीं मिल पाया है। इस स्थिति से सीख लेते हुए भाजपा अपनी जमीन मजबूत करने में लग गई है।

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मुंबई महानगर पालिका चुनाव अगले वर्ष होने हैं। इसकी तैयारी के लिए भारतीय जनता पार्टी ने चक्रव्यूह रचना शुरू कर दिया है। भाजपा के इस प्रयत्न का लाभ सीधे रूप से कृपाशंकर सिंह को मिल सकता है। इसके लिए भाजपा ने गेम प्लान बना लिया है।

दिसंबर में विधान परिषद की दो सीटों के लिए चुनाव होने हैं। जिसमें नगरसेवक मतदान करेंगे। इसके लिए भाजपा कृपाशंकर सिंह को उम्मीदवारी दे सकती है। इसका कारण है कि राज्य में उत्तर भारतीयों की जनसंख्या 40 लाख के लगभग है, जो कुल मत प्रतिशत का 25 प्रतिशत है। इसलिए भाजपा उत्तर भारतीयों को अपनी ओर खींचने के लिए कृपाशंकर सिंह को चेहरे के रूप में उतार सकती है। भाजपा में प्रवेश के पहले कृपाशंकर सिंह मुंबई और आसपास के क्षेत्रों में उत्तर भारतीय समाज से सीधे संबंध स्थापित करने के लिए परिश्रम यात्रा निकाल चुके हैं।

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भाजपा उम्मीदवार की जीत
दिसंबर में होनेवाले विधान सभा चुनाव के लिए नगरसेवक मतदान करेंगे। भाजपा के पास 83 मत हैं। चुनाव संहिता के अनुसार जिस उम्मीदवार को 77 वोट मिलते हैं उसका विधायक बनना तय माना जाता है। ऐसे में भाजपा के उम्मीदवार की जीत पक्की मानी जा रही है।

उम्मीदवारी के लिए ये भी हैं इच्छुक
विधान परिषद सदस्य बनने के लिए इच्छुकों में राजहंस सिंह का नाम भी सामने आ रहा है। राजहंस सिंह भी गोरेगांव से कांग्रेस के विधायक रह चुके हैं। वे भी बाद में भाजपा में शामिल हो गए थे। उन्हें पिछले विधान सभा चुनाव में टिकट भी नहीं मिला था। ऐसे में अब जब विधान परिषद की एक सीट रिक्त हो रही है तो उसके लिए रस्साकशी में कृपाशंकर सिंह के सामने राजहंस सिंह भी खड़े हैं।

इसलिए कृपा पसंद
कृपाशंकर सिंह महाराष्ट्र के पूर्व गृहराज्य मंत्री रह चुके हैं। उत्तर भारतीय समाज में उनका नाम अन्य नेताओं की अपेक्षाकृत अधिक प्रचलित है। इससे भाजपा में नेताओं को लगता है कि मनपा चुनावों में उत्तर भारतीय मतों को साथ लाने में कृपाशंकर सिंह निर्णायक भूमिका निभाएंगे।

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उत्तर भारतीय वोट बैंक
मुंबई महानगर क्षेत्र में लगभग 40 से 50 लाख उत्तर भारतीय रहते हैं। इस हिसाब से देखें तो कुल मत प्रतिशत में उत्तर भारतीयों का प्रमाण लगभग 20 से 25 प्रतिशत का है। मुंबई के कई वॉर्डों में उत्तर भारतीय ही निर्णायक मतदाता हैं।

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