बड़े चेहरों पर ‘सेना’ का डोरा, हाथ सफाई या हाथ की सफाई?

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मुंबई महानगरपालिका का चुनाव तो वर्ष 2022 में होना है लेकिन कई राजनैतिक पार्टियों ने उसकी तैयारी अभी से शुरू कर दी है। खबर है कि इस चुनाव के मद्देनजर राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार की अगुआई कर रही शिवसेना ने कांग्रेसी नगरसेवकों और कार्यकर्ताओं पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं। शिवसेना की इस हाथ सफाई की रणनीति को राजनैतिक हलकों में बीएमसी में ‘हाथ की सफाई’ के रुप में देखा जा रहा है।

बताया जा रहा है कि शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने अगले मनपा चुनाव में कांग्रेस को झटका देने की रणनीति बनाई है। उनकी कोशिश है कि मनपा के आगामी चुनाव में ज्यादा से ज्यादा नगरसेवक शिवसेना और एनसीपी के चुनकर आएं। आपको बता दें कि 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में साथ लड़कर भी शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी को ठेंगा दिखा दिया था और हिंदुत्व की अपनी नीति को दरकिनार कर तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टी एनसीपी तथा कांग्रेस के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई।

हाशिये पर कांग्रेस
कहने को तो महाराष्ट्र में तीन पार्टियो की महाविकास आघाड़ी की सरकार है लेकिन वास्तव में शिवसेना और एनसीपी का प्रभाव हर जगह दिख रहा है और कांग्रेस हाशिये पर है। अब चर्चा है कि आगामी मनपा चुनाव शिवसेना और एनसीपी साथ मिलकर लड़ सकती है।

ऐसे कांग्रेस नगरसेवकों पर नजर
इस हालत में अपने क्षेत्र में अच्छा काम करने और लोकप्रिय होने के बावजूद पार्टी में  महत्व नहीं मिलने से नाराज कांग्रेस  नगरसेवकों पर एनसीपी के साथ ही शिवसेना भी डोरे डाल रही है। अपनी इसी रणनीति के तहत फिलहाल शिवसेना ऐसे नगरसेवकों का पता लगाने में जुटी हुई है। अगले कुछ दिनों और महीनों में ऐसे नगरसेवकों को अपनी पार्टी मे शामिल कर शिवसेना अपनी ताकत बढ़ा सकती है।

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कई कांग्रेस नगरसेवक पहले ही छोड़ चुके हैं पार्टी
बता दें कि वर्तमान में बीएमसी में कांग्रेस के 29 नगरसेवक हैं। इनमें से कई किसी न किसी कारण पार्टी से नाराज बताए जा रहे हैं। वर्तमान नगरसेविका सुषमा राय के पति कमलेश राय पहले ही शिवसेना का दामन थाम चुके हैं। जबकि कांग्रेस की नगरसेवक सोनम जामसूतकर के पति मनोज जामसूतकर भी शिवसेना में शामिल हो चुके हैं। इसी तरह कांग्रेस की श्वेता कोरगांवकर की जीत में अहम भूमिका निभानेवाले शिवानंद शेट्टी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो चुके हैं। इनके साथ ही अन्य पार्टी में उपेक्षित नगरसेवकों पर भी शिवसेना की नजर है। शिवसेना ऐसे नगरसेवकों को शाखा प्रमुख और विभाग प्रुमख जैसे अहम पद देकर उन्हें अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर सकती है। इस रणनीति के तहत पार्टी के सांसद से लेकर नगरसेवक और कार्यकर्ता तक काम कर रहे हैं। इससे पहले कांग्रेस छोड़कर अनिल पाटणकर अपनी नगरसेवकी से इस्तीफा देकर शिवसेना में शामिल हो चुके हैं और उपचुनाव में शिवसेना के टिकट पर फिर से नगरसवेक चुनकर भी आ चुके हैं। इसी तरह मानखुर्द में विठ्ठल लोकरे भी शिवसेना के टिकट पर फिर से नगरसेवक बन चुके हैं।

बीजेपी में शामिल होनेवाले नेता भी नाराज
कांग्रेस और एनसीपी के कई स्थानीय नेता और नगरसेवक बीजेपी में शामिल हुए हैं। लेकिन वहां जाकर उन्हें कोई लाभ नहीं मिल रहा है। ऐसे कई नगरसेवक और नेता बीजेपी छोड़कर शिवसेना तथा एनसीपी में शमिल हो सकते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की गलत निर्णय के कारण आज बीजेपी 84 नगरसेवक होने के बावजूद विपक्ष में बैठने पर मजबूर है। राज्य के साथ ही बीएमसी में भी सत्ता से दूर जा चुकी बीजेपी के कई नगरसेवक भी भविष्य में शिवसेना और एनसीपी में अपना बेहतर भविष्य तलाश सकते हैं।

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