मंदिर में दो ठाकरे के साथ आव्हाड! आखिर माजरा क्या है?

महाराष्ट्र में जब से शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस की गठबंधन सरकार बनी है, तब से शिवसेना की विचारधारा में तेजी से बदलाव आ रहा है।

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मुंबई के वर्ली स्थित बीडीडी चाल के पुनर्विकास का भूमिपूजन समारोह 1 अगस्त को संपन्न हुआ। इस दौरान राजनैतिक और चुनावी गुणा-गणित खुलकर देखने को मिला। हालांकि समारोह में तीनों पार्टियों के कई वरिष्ठ नेता और मंत्री उपस्थित थे। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार से लेकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और कांग्रेस विधायक व मुंबई के पालक मंत्री असलम शेख तक इस समारोह में उपस्थित थे, लेकिन यहां स्थित हनुमान मंदिर में लगी एक तस्वीर मीडियाकर्मियों का ध्यान विशेष रुप से आकर्षित कर रही थी।

बीडीडी चाल के हनुमान मंदिर में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे के साथ ही गृह निर्माण मंत्री जितेंद्र आव्हाड की तस्वीर भी शामिल थी। इसके साथ ही समारोह में भी अन्य मंत्रियों से जितेंद्र आव्हाड को ज्यादा महत्व दिया जा रहा था। इसके पीछे की राजनीति समझना मुश्किल नहीं है।

ये कैसी मजबूरी?
दरअस्ल जब से शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस की गठबंधन सरकार बनी है, तब से शिवसेना की विचारधारा में तेजी से बदलाव आ रहा है। हालांकि वह हर मौके पर यही कहती है कि उसने हिंदुत्व के मुद्दे को नहीं छोड़ा है, लेकिन पार्टी नेताओं का व्यवहार इसके विपरीत दिखता है। हो सकता है कि यह शिवसेना की नहीं, गठबंधन सरकार के साथ ही वोट बैंक भी मजबूरी हो।

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वोट बैंक बढ़ाने की राजनीति
2022 में होने वाले चुनाव को देखते हुए शिवसेना मराठी के मुद्दे पर लौटने की कोशिश कर रही है। इसलिए हर महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में पार्टी के नेता इस मुद्दे पर दो-चार वाक्य जरुर बोलते हैं, लेकिन मराठियों के विकास और कल्याण के लिए इस सरकार के पास कोई विशेष योजना नहीं है। मराठी वोट बैंक के साथ ही अब पार्टी ने ओबीसी और मुस्लिम मतदाताओं को भी आकर्षित करने की कोशिश शुरू कर दी है। जितेंद्र आव्हाड का उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे के साथ बीडीडी चाल में लगाई तस्वीर इसी दिशा में एक राजनैतिक कदम माना जा रहा है। शिवसेना के महासचिव वरुण सरदेसाई द्वारा इस तस्वीर को ट्टीट करने का बड़ा मकसद माना जा रहा है।

एक तीर में कई शिकार
समझा जा रहा है कि इस तस्वीर में जितेंद्र आव्हाड की तस्वीर शामिल कर शिवसेना ने कई निशाने साधे हैं। एक तरफ जहां उसने 2022 में होने वाले बीएमसी चुनाव राकांपा के साथ मिलकर लड़ने के संकेत दिए हैं, वहीं उसने मुस्लिम मतदाताओं के साथ ही ओबीसी मतदाताओं को भी रिझाने की कोशिश की है।

मुस्लिम मतदाताओं पर नजर
जितेंद्र आव्हाड ठाणे के मुंब्रा-कलवा विधान सभा क्षेत्र से राकांपा के टिकट पर जीतते रहे हैं। मुस्लिम और ओबीसी बहुल इस क्षेत्र से उनकी जीत का कारण ही यह है कि उन्हें मुस्लिम मतदाताओं के वोट मिलते रहे हैं। उनके हर छोटे-बड़े मुद्दे को आक्रामक ढंग से उठाते रहने वाले आव्हाड मुसलमानों के पसंदीदा नेता और मंत्री हैं। इस स्थिति में शिवसेना ने उन्हें महत्व देकर ओबीसी के साथ ही मुस्लिम मतदाताओं को भी आकर्षित करने की कवायद शुरू की है।

मिशन बीएमसी चुनाव 2022
कहना न होगा कि 2022 के बीएमसी चुनाव के साथ ही अन्य महानगरपालिका चुनावों में भी शिवसेना की नजर अपने पारंपरिक मतदाताओं के साथ ही अब ओबीसी और मुस्लिम मताताओं पर भी है। हालांकि इस दिशा में उसे कितनी सफलता मिलती है, यह तो वक्त ही बताएगा।

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