यूपी में मुहर्रम को लेकर गाइडलाइन जारी कर दी गई है। कोरोना के खतरे के मद्देनजर इस वर्ष मुहर्रम के अवसर पर जुलूस और ताजिया निकालने पर रोक लगा दी गई है। हालांकि प्रदेश में कोरोना संक्रमण तेजी से कम हो रहा है लेकिन खतरा अभी भी बना हुआ है। इसे देखते हुए प्रशासन ने यह रोक लगाई है।
पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल ने बताया कि मुहर्रम की सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर गाइडलाइंस जारी की गई हैं। इस सर्कुलर की भाषा को लेकर शिया समुदाय ने नाराजगी व्यक्त की है। हालांकि पुलिस प्रशासन ने इस मुद्दे पर स्पष्ट कर दिया है कि सर्कुलर में कोई आपत्तिजनक बात नहीं है।
पुलिस का पहरा
डीजीपी मुकुल गोयल ने पुलिस अधिकारियों को धर्म गुरुओं और शांति समिति के पदाधिकारियों व नागरिकों से बातचीत कर उन्हें कोरोना की पृष्ठभूमि में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों की जानकारी देने का आदेश दिया है। डीजीपी ने कहा कि असामाजिक और सांप्रदायिक तत्वों पर कड़ी नजर रखी जाए, ताकि कहीं भी कोई अप्रिय घटना न घटे। डीजीपी ने कहा कि जिन स्थानो पर कोई विवाद पैदा होगा, वहां पुलिस स्थिति का जायजा लेकर विवाद का समाधान करेगी। उन्होंने संवेदनशील स्थानों पर अतिरिक्त सुरक्षा बंदोबस्त करने का निर्देश जारी किया है।
भाषा पर आपत्ति
दूसरी ओर शिया धर्म गुरु मौलाना कल्बे जवाद नकवी ने कहा है कि डीजीपी के सर्कुलर की भाषा आपत्तिजनक है। अगर भाषा को नहीं बदला गया तो मुहर्रम की कमेटियां पुलिस की तैयारियों की बैठक में हिस्सा नहीं लेंगी। उन्होंने आरोप लगाया कि इस तरह की भाषा से समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है।
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यह इंटरनल आदेशः पुलिस
इस आरोप पर कानून-व्यवस्था के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार का कहना है कि यह इंटरनल आदेश है,जो पहले भी जारी हुआ है। कावड़ यात्रा व अन्य अवसरों पर भी इस तरह के निर्देश जारी किए गए हैं। किसी वर्ग विशेष को लेकर अलग से कुछ भी आपत्तिजनक नहीं कहा गया है।
कावड़ यात्रा पर लगाई गई थी रोक
कोरोना के मद्देनजर इससे पहले 25 जुलाई को कावड़ यात्रा पर भी रोक लगा दी गई थी। केरल में हाल ही में बकरीद पर तीन दिन की छूट दी गई थी। उसका परिणाम यह हुआ है कि पिछले करीब 10 दिनों से उस प्रदेश में कोरोना संक्रमण चरम पर है। हर दिन वहां 22 हजार के आसपास नए मामले आ रहे हैं। इसे देखते हुए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार किसी भी तरह का खतरा मोल नहीं लेना चाहती।