इस्लामी कट्टरवाद के निशाने पर अब सिखों का पवित्र निशान साहिब है। गुरुद्वारा थाला साहिब से तालिबानी आतंकियों ने निशान साहिब को हटा दिया है। सिख धर्म में इस स्थान का महत्व बहुत अधिक है। तालिबानियों के इस दुस्साहस का सोशल मीडिया पर वैश्विक स्तर पर विरोध हो रहा है।
अफगानिस्तान में तालिबानियों ने इस्लामी कट्टरवाद का आतंक बरपाना शुरू कर दिया है। देश के पक्तिया प्रांत के चमकानी में स्थित है गुरुद्वारा थला साहिब, जहां निशान साहिब का झंडा तालिबानियों ने हटा दिया है। अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना हट रही है। इसके बाद से ही तालिबान सक्रिय हो गया है। उसने वहां के सरकारी नियंत्रण वाले क्षेत्रों में हमले शुरू कर दिये हैं। इसमें उसका साथ पाकिस्तान की सेना और आईएसआई भी दे रही है।
Sikhs all across the world are hurt by Taliban removing Nishan Sahib from historical Gurdwara Thala Sahib, which was visited by Sri Guru Nanak Dev Ji
Taliban’s action reflects grave threats to Sikhs’ religious freedom in Afghanistan.@ANI @htTweets @republic @punjabkesari pic.twitter.com/WyV40Opyi2— Manjinder Singh Sirsa (@mssirsa) August 6, 2021
निशान साहिब का झंडा हटाए जाने पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने विरोध व्यक्त किया है। उन्होंने विदेश मंत्री एस.जयशंकर से अफगानिस्तान के उनके समकक्ष से बात करने का निवेदन किया है।
ये भी पढ़ें:- सरकार चला रहे हैं या दाऊद गैंग? भाजपा विधायक ने साधा निशाना
थाला साहिब गुरुद्वारे का महत्व
सिखों के धर्मगुरु गुरु नानक देव जी अफगानिस्तान के चमकानी में रुके थे। इस महत्व को देखते हुए वहां गुरुद्वारा थला साहिब का निर्माण हुआ था। गुरु स्थल होने के कारण इस स्थान की सिख समुदाय की बड़ी आस्था रही है। अफगानिस्तान में तालिबानी कट्टरवादी इस्लाम के अलावा किसी भी धर्म को स्वीकार नहीं करते। इसका बड़ा उदाहरण बामयान में 2001 में विश्व ने देख लिया है जब तालिबानी नेता मोहम्मद उमर के आदेश पर चौथी और पांचवी शताब्दी में निर्मित बुद्ध की प्रतिमा को विस्फोटक से उड़ा दिया है।
अफगानिस्तान में सिखों की स्थिति
⇒ पिछले वर्ष तालिबानियों ने थला गुरुद्वारे से नेदान सिंह सचदेवा का अपहरण कर लिया था। भारत सरकार ने इस घटना का तीव्र विरोध दर्ज कराया था।
⇒ मार्च 2020 में आईएसआईएस के हथियारबंद ने गुरु हर राय साहिब गुरुद्वारे में फायरिंग कर दी थी। जिसमें 25 सिख मारे गए थे।
⇒ एक जानकारी के अनुसार वर्ष 2020 तक अफगानिस्तान में 650 सिख समुदाय के लोग रहते थे। जो इस्लामी कट्टरवाद से इतने आतंकित थे कि उन्होंने भारतीय दूतावास को पत्र लिखकर विशेष विमान से निकालने की प्रार्थना की थी।
Join Our WhatsApp Community