जानिये, क्यों महान हैं हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद!

मेजर ध्यानचंद सिंह भारतीय हॉकी के पूर्व खिलाड़ी और कप्तान थे। उन्हें विश्व के महान हॉकी खिलाड़ियों में से एक माना जाता है। मेजर ध्यानचंद ने भारत को लगातार तीन बार ओलंपिक में स्वर्ण पदक दिलाकर इतिहास रच दिया था।

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राजीव गांधी भारत रत्न अवॉर्ड को बदलकर उसका नाम हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद कर दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी महान उपलब्धियों के देखते हुए यह घोषणा की है।

मेजर ध्यानचंद सिंह भारतीय हॉकी के पूर्व खिलाड़ी और कप्तान थे। उन्हें विश्व के महान हॉकी खिलाड़ियों में से एक माना जाता है। मेजर ध्यानचंद ने भारत को लगातार तीन बार ओलंपिक में स्वर्ण पदक दिलाकर इतिहास रच दिया था। उनके जन्म दिवस को देश में राष्ट्रीय खेल दिवस के रुप में मनया जाता है। उन्होंने अपने खेल करियर में 1000 से ज्यादा गोल दागे थे। वे जब खेल के मैदान में उतरते थे तो गेंद मानो उनकी स्टिक से चिपक-सी जाती थी। उन्हें पद्मभूषण से पुरस्कृत किया गया था। भारतीय जनता पार्टी सरकार ने 2014 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया।

अवॉर्ड

  • 1956 में भारत के दूसरे सबसे बड़े सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित
  • जन्म दिवस को राष्ट्रीय खेल दिवस के रुप में मनाया जाता है
  • ध्यानचंद की याद में डाक टिकट जारी
  • दिल्ली में ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम का निर्माण
  • 2014 में भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित

करियर
-मेजर ध्यानचंद के खेल से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं, जिससे उनकी प्रतिभा का परिचय मिलता है। एक मैच में उनकी टीम दो गोल से हार रही थी। इस स्थिति में उन्होंने अंतिम चार मिनट में तीन गोल दागकर टीम को जीत दिलाई थी। यह मैच पंजाब के झेलम में खेला गया था। इसके बाद उन्हें हॉकी के जादूगर के नाम से जाना जाने लगा।

-मेजर ध्यान चंद ने पहला नेशनल हॉकी टूर्नामेंट 1925 में खेला। इस मैच में विज, उत्तर प्रदेश, पंजाब, बंगाल, राजपूताना और मध्य भारत ने भी भाग लिया था। इस टूर्नामेंट में उनकी प्रतिभा को देखते हुए उन्हें भारत की अंतर्राष्ट्रीय टीम के लिए चुन लिया गया था।

-1926 में न्यूजीलैंड में होने वाले टूर्नामेंट के लिए ध्यानचंद का चयन किया गया था। वहां खेले गए एक मैच में भारतीय टीम ने 20 गोल दागे थे। इनमें से 10 गोल ध्यानचंद ने किए थे। इस टूर्नामेंट में भारतीय हॉकी टीम ने 21 मैच खेले थे। उनमें से 18 में भारत ने जीत हासिल की थी, एक में हार मिली थी और दो ड्रा रही थी। टीम ने इस टूर्नामेंट के दौरान 192 गोल दागे थे। उनमें से 100 गोल ध्यानचंद ने दागे थे। वहां से वापस आने के बाद उन्हें आर्मी में लांस नायक नियुक्त किया गया था।

-1927 में लंदन फोल्कस्टोन फेस्टिवल के दौरान भारत ने 10 मैचों में 72 गोल किए थे, जिनमें 36 गोल ध्यानचंद ने दागे थे।

गोल्ड मेडल

  • 1928 में एमस्टर्डम ओलंपिक गेम भारतीय हॉकी टीम ने नीदरलैंड के साथ हॉकी मैच खेला था। इनमें से तीन गोल में से दो ध्यानचंद ने दागे थे और भारत को पहला गोल्ड मेडल दिलाया था।
  • 1932 में लॉस एंजिल्स ओलंपिक गेम में भारत का फाइनल मैच अमेरिका के साथ हुआ था। इसमें भारत ने रिकॉर्डतोड़ गोल दागे थे और 23-1 से मैट जीतकर गोल्ड मेडल पर कब्जा जमा लिया था। यह वर्ल्ड रिकॉर्ड वर्षों बाद 2003 में टूटा।
  • 1932 में बर्लिन ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने हंगरी, अमेरिका और जापान को हराया था। इवेंट के समीफाइनल में भारत ने फ्रांस को 10 गोल से मात दी थी। उसके बाद फाइनल जर्मनी के साथ खेला गया। इस खेल में भारत ने पहले हाफ में मात्र एक गोल दागा। लेकिन सेकेंड हाफ के बाद ध्यानचंद ने अपने जूते उतार दिए और नंगे पांव खेलकर भारत को 8-1 से जीत दिलवाई। इस तरह भारत को स्वर्ण पदक दिलवाया।

हिटलर ने दिया था ऑफर
जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने ध्यानचंद की प्रतिभा से प्रभावित होकर ध्यानचंद को जर्मन आर्मी में हाई पोस्ट ऑफर किया था। लेकिन ध्यानचंद को अपने देश से बहुत प्रेम था। उन्होंने उस ऑफर को ठुकरा दिया। 1948 तक ध्यानचंद ने इंटनेशनल हॉकी खेलने के बाद 42 साल की उम्र में रिटायरमेंट लिया। इसके बाद भी वे आर्मी के लिए 1956 तक खेलते रहे।

जन्म और शिक्षा
ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद में हुआ था। उनके पिता का नाम समेश्वर दत्त सिंह और माता का नाम शारदा सिंह था। उन्होंने महारानी बाई गवर्नमेंट महाविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। उसके बाद मात्र 16 वर्ष की उम्र में 1922 में दिल्ली के प्रथम ब्राह्मण रेजिमेंट में एक साधारण सिपाही के पद पर भर्ती हुए। बाद में हॉकी में खेलने पर 1927 में उन्हें लांस नायक बना दिया गया।

निधन
हॉकी का यह जादूगर लिवर कैंसर से ग्रस्त हो गया। उन्हें उपचार के लिए दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था। 3 दिसंबर 1979 को उनका निधन हो गया।

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