स्वातंत्र्यवीर सावरकर पर बयान के लिए नितेश राणे ने मानी अपनी गल्ती!

भाजपा विधायक नितेश राणे ने 2015 में एक ट्वीट कर लिखा था कि ब्रिटिश हुकूमक से चार बार माफी मांगने वाले वीर सावरकर देश के युवकों के लिए आदर्श नहीं हो सकते। इस ट्वीट को लेकर उन्होंने अपनी गल्ती मान ली है।

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भारतीय जनता पार्टी के विधायक नितेश राणे ने कांग्रेस में रहते हुए महान स्वतंत्रता सेनानी और हिंदुत्वादी विचारक वीर सावरकर को लेकर किए गए ट्वीट पर अपनी गल्ती मान ली है। हिंदुस्थान पोस्ट के विशेष कार्यक्रम ऑफबीट नितेश राणे में वे संपादक स्वप्निल सावरकर और सलाहकार संपादक मंजिरी मराठे द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब दे रहे थे।

केंद्रीय मंत्री और भाजपा के राज्य सभा सांसद नारायण राणे के पुत्र नितेश राणे ने 2015 में एक ट्वीट कर लिखा था कि ब्रिटिश हुकूमत से चार बार माफी मांगने वाले वीर सावरकर देश के युवकों के लिए आदर्श नहीं हो सकते। इस ट्वीट को लेकर उन्होंने अपनी गल्ती मान ली है।

इसलिए हुई गल्ती
नितेश राणे ने कहा कि राजनीति में होने के कारण हमें तरह-तरह की जानकारियां लोगों से मिलती हैं। उसके अनुसार हम बयान देते हैं, लेकिन मैंने तब से यह भी समझ लिया कि लोग जो बोल रहे हैं, उसकी सत्यता को परखना भी जरुरी है। अगर मैं उसकी जांच कर लेता तो मैं इस तरह का ट्वीट नहीं करता। कहा जाता है न कि ठोकने के बाद ही गाड़ी चलाना सीखा जाता है। वैसी ही बात है।

‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर पर गर्व है’
भाजपा विधायक ने कहा कि स्वातंत्र्यवीर सावरकर पर हमें गर्व है। देश और हिंदुत्व के लिए उन्होंने बहुत ही महान काम किया। हमें निश्चित रुप से उन पर गर्व है। मेरे सामने जो जानकारी आई, उसके अनुसार वो ट्वीट किया था। वह गल्ती हुई, मैं उसे स्वीकार करता हूं। मैंने संभाजी महाराज के बारे में भी कुछ बोला था। जो जानकारी मेरे सामने आई थी। उसके अनुसार मैंने बयान दिया था। इतिहास में एक ही व्यक्ति के बारे में अलग-अलग तरह की जानकारी दी जाती है। इस बात को अच्छी तरह समझना चाहिए कि किस बात पर विश्वास किया जाए।

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कांग्रेस और भाजपा में जमीन-आसमान का अंतर
कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बारे में बोलते हुए नितेश राणे ने कहा कि कांग्रेस और भाजपा में शामिल होने से पहले हम कई वर्ष शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी के हिस्सा थे। हिंदुत्व के मुद्दे पर हम साथ थे। भारतीय जनता पार्टी में हम सुबह से लेकर शाम तक एक दूसरे से संपर्क में रहते हैं। हमेशा मार्गदर्शन मिलता है। हमारा उपयोग हो रहा है। कांग्रेस में रहते हुए मुझसे कभी राहुल गांधी नहीं मिले। कभी बात नहीं की। यहां तक कि प्रदेश अध्यक्ष भी नहीं मिलते थे।

भाजपा में मिलता है मार्गदर्शन
भाजपा में विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस, विधानपरिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दरेकर, प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील सब का मार्गदर्शन मिलता है। वाट्सएप पर मैसेज भेजने के बाद 20 मिनट में जवाब आ जाता है। इतने वर्ष कांग्रेस में रहकर भी कुछ खास नहीं मिला। दोनों में जमीन-आसमान का अंतर है। असम के मुख्यंमत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा था कि जब वे राहुल गांधी से मिलने गए तो राहुल अपने कुत्ते के साथ खेल रहे थे। सरमा की ओर उनका कोई ध्यान नहीं था। ये एक उदाहरण है कि राहुल गांधी अपने नेताओं को कितनी गंभीरता से लेते हैं।

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