कुछ वर्ष पहले तक परप्रांतीय मुद्दे पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने काफी आक्रामक रुख अपनाया था। पार्टी कार्यकर्ताओं ने इसे लेकर यूपी-बिहार के लोगों के साथ मारपीट भी की थी, लेकिन बदलते वक्त में मनसे को समझ में आ गया है कि उसकी वह पॉलिसी कितनी आत्मघाती थी। इसी मुद्दे पर भाजपा उससे गठबंधन करने से कतरा रही है, जबकि अपनी राजनैतिक हैसियत को देखते हुए मनसे भाजपा के साथ गठबंधन करने को लेकर बेसब्र है।
बता दें कि पिछले कुछ दिनों से भारतीय जनता पार्टी और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना को एक साथ आने की चर्चा चरम पर है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील ने संकेत दिया था कि वह कृष्णकुंज जा रहे हैं। हालांकि, विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, केंद्र में पार्टी के नेता भाजपा-मनसे गठबंधन को लेकर चल रही बातचीत से नाराज हैं।
चर्चा में नहीं दिखाई दिलचस्पी
मिली जानकारी के अनुसार पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने दिल्ली गए महाराष्ट्र के नेताओं को इस मुद्दे पर सख्त आदेश जारी किए हैं। पार्टी ने पूछा है कि मनसे से पार्टी के गठबंधन को लेकर चर्चा क्यों की जा रही है। उन्होंने इस मुद्दे पर चर्चा में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है।
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यूपी चुनाव अहम
बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में होने हैं। केंद्रीय नेतृत्व फिलहाल यूपी के साथ ही उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में होने वाले चुनावों पर ध्यान केंद्रित किए हुए है। इस स्थिति में केंद्रीय नेतृत्व की मनसे को साथ लेने में कोई दिलचस्पी नहीं है। उत्तर भारतीय आज भी मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे द्वारा उत्तर भारतीयों के खिलाफ दिए गए भाषणों से नाराज बताए जा रहे हैं। इस स्थिति में भाजपा मनसे से गठबंधन कर उत्तर प्रदेश के साथ ही उत्तराखंड के मतदाताओं को नाराज नहीं कर सकती।
ये भी बड़ा कारण
मनसे को अपने साथ न लेने की एक और बड़ी वजह लोकसभा चुनाव के दौरान अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे द्वारा की गई बयाबाजी है। लोकसभा चुनाव के दौरान राज ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की खूब आलोचना की थी। इस वजह से भी भाजपा का शीर्ष नेतृत्व राज ठाकरे से नाराज है।
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पाटील से नाराज शाह
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील ने हाल ही में मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे से मुलाकात की थी। दोनों नेताओं के बीच करीब पौने घंटे तक चर्चा चली थी। पता चला है कि अमित शाह इस बात को लेकर चंद्रकांत पाटील से नाराज हैं। उनका मानना है कि उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले मनसे-भाजपा गठबंधन की चर्चा करना उचित नहीं है।