मुस्लिम विरोधी नारेबाजी मामले में अश्विनी उपाध्याय को जमानत! नहीं मिला कोई सबूत

8 अगस्त को भारत जोड़ो आंदोलन के बैनर तले अश्विनी उपाध्याय के नेतृत्व में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में उन्होंने अंग्रेजों द्वारा बनाए गए 222 कानून को देश और धर्म विरोधी बताते हुए उन्हें रद्द करने की मांग की थी।

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दिल्ली के जंतर मंतर पर मुस्लिम विरोधी नारेबाजी के मामले में गिरफ्तार किए गए भाजपा नेता और सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय को जमानत मिल गई है। दिल्ली के एक न्यायालय ने उन्हें इस मामले में कोई सबूत नहीं मिलने पर 11 अगस्त को जमानत दे दी।

अश्विनी उपाध्याय के साथ ही 6 लोगों को 10 अगस्त को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उनके साथ ही इस मामले में दीपक सिंह,विनोद शर्मा, विनीत बाजपेई, प्रीति सिंह और दीपक कुमार को भी अरेस्ट किया गया था। इन पर धार्मिक उन्माद फैलाने के साथ ही कोरोना के नियमों के उल्लंघन का भी आरोप है।

न्यायिक हिरासत में भेजे गए थे उपाध्याय
जंतर मंतर पर 8 अगस्त को एक कार्यक्रम में मुस्लिम विरोधी नारेबाजी को लेकर पूरे देश में चर्चा थी। संसद के आसपास इस तरह की नारेबाजी और घटना को लेकर दिल्ली पुलिस भी निशाने पर आ गई थी। हालांकि अश्विनी उपाध्याय ने इस तरह की नारेबाजी में खुद के शामिल होने से इनकार किया था। उन्होंने कहा था कि इस घटना से उनका कोई संबंध नहीं है और वे दोपहर में ही वहां से चले गए थे। न्यायालय ने उनकी सफाई के बावजूद उन्हें दो दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। उसके बाद उपाध्याय ने सर्वोच्च न्यायालय में जमानत की अर्जी दायर की थी।

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उपाध्याय ने शुरू किया था आंदोलन
दरअस्ल 8 अगस्त को भारत जोड़ो आंदोलन के बैनर तले उपाध्याय के नेतृत्व में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में उन्होंने अंग्रेजों द्वारा बनाए गए 222 कानून को देश और धर्म विरोधी बताते हुए उन्हें रद्द करने की मांग की थी।

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