वैक्सीन इंडस्ट्री द्वारा अपने पहले के अनुभव और परेशानियों को याद करते सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के चेयरमैन डॉ. साइरस पूनावाला ने मोदी सरकार की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि अब परिस्थियां बदली हैं और अफसर अब सरकार के कानूनों के अनुसार काम कर रहे हैं।
13 अगस्त को डॉ.पूनावाला पुणे स्थित तिलक महाराष्ट्र विद्यापीठ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में डॉ. पूनावाला ने कहा कि आज से 50 साल पहले वैक्सीन इंडस्ट्री को बहुत कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था। उन्होंने बताया कि तब लालफिताशाही इस हद तक हावी थी कि अनुमति लेने के लिए अधिकारियों और ड्रग कंट्रोलकर के पैर पकड़ने पड़ते थे।
पूर्व के अनुभव को किया याद
डॉ. पूनावाला ने अपनी पुरानी परेशानियों को याद करते हुए कहा कि उन्होंने जब 1966 में एसआईआई की स्थापना की थी तो अधिकारियों की अनुमति के साथ ही बिजली और पानी जैसी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। डॉ. पूनावाला ने बताया कि आज परिस्थितियां बदल गई हैं और सरकार द्वारा समय पर अनुमति के साथ ही पर्याप्त सहयोग मिल रहा है।
मस्का पॉलिश का जमाना गया
डॉ. पूनावाला ने मोदी सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि लालफीताशाही और लाइसेंसराज अब मोदी सरकार के कानूनों में समाप्त हो गया है। इसी बदलाव का परिणाम है कि एसआईआई की कोविड-19 वैक्सीन कोवीशील्ड जल्द लॉन्च की जा सकी। उन्होंने कहा कि अब एक ऐसा ड्रग कंट्रोलर है,जो ऑफिस का समय खत्म हो जाने के बाद भी काम करता है और तुरंत प्रतिक्रिया भी देता है। अब मस्का पॉलिश का जमाना खत्म हो गया है।
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वैक्सीन मिक्सिंग को बताया गलत
डॉ. पूनावाला ने दो अलग-अलग वैक्सीन को मिक्स करने को गलत बताया। उन्होंने कहा कि दो अलग-अलग वैक्सीन को मिक्स करना बहुत ही गलत है। इससे एक दूसरे पर आरोप लगाने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इस हालत में अगर कुछ गलत होता है तो दोनों कंपनियों के निर्माता एक दूसरे पर दोष मढ़ने लगेंगे।
वैक्सीन मिक्स करने के अध्ययन को मंजूरी
बता दें कि कुछ दिन पहले ही ड्रग कंट्रोल ऑफ इंडिया ने देश में कोवैक्सीन और कोविशील्ड की वैक्सीन के मिश्रण पर एक अध्ययन करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। यह अध्ययन क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर द्वारा किया जाना है, जिसमें 300 लोग शामिल होंगे।