केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल द्वारा भारतीय उद्योगपतियों की आलोचना किए जाने के बाद हड़कंप मचा हुआ है। 12 अगस्त को कन्फेडरेशन ऑफ इंडिया यानी सीआईआई की वार्षिक बैठक में उन्होंने भारतीय उद्योगपतियों की बिजनेस प्रैक्टिसेस को देशहित के खिलाफ बताया। उन्होंने 153 साल पुराने टाटा ग्रुप पर गंभीर आरोप लगाए।
सीआईआई की वार्षिक बैठक में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के संबोधन का 19 मिनट का एक वीडियो यूट्यूब पर अपलोड किया गया था। जिसे हटाकर उसे एडिट करने के बाद फिर से 12 अगस्त की रात अपलोड किया गया था, लेकिन 13 अगस्त की शाम उसे भी ब्लॉक कर दिया गया।
टाटा की आलोचना
इस वीडियो में गोयल ने इन्फ्रास्ट्रक्चर, डिफेंस और एरोस्पेस और टाटा संस के चेयरमैन बनमाली अग्रवाल का नाम लेकर कहा कि टाटा ने उनके मंत्रालय के बनाए गए नियमों का विरोध किया था, जबकि वे नियम उपभोक्ताओं की मदद के लिए बनाए गए थे।
घरेलू व्यवासायों की प्राथमिकताओं और प्रतिबद्धताओं पर सवाल
गोयल ने कहा कि आपने विदेश की एक-दो कंपनी खरीद ली तो उसका महत्व ज्यादा हो गया और देशहित कम हो गया। गोयल ने बताया कि उन्होंने ये बात टाटा समूह के अध्यक्ष एन.चंद्रेशेखरन को भी बताई थी। घरेलू व्यवासायों की प्राथमिकताओं और देश के प्रति उनकी प्रतिबद्धताओं पर सवाल उठाते हुए केंद्रीय मंत्री ने टाटा स्टील को चुनौती देते हुए कहा कि क्या वे अपने उत्पाद जापान और कोरिया में बेच सकते हैं? गोयल ने कहा कि उन देशों की कंपनियां राष्ट्रवादी हैं। वे आयातित स्टील नहीं खरीदती हैं। इसके विपरीत भारतीय उद्योग आयात करता है, भले ही इसमें उन्हें मात्र 10 पैसे की बचत हो रही हो।
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उद्यगपतियों ने की छोटी कंपनियों को मदद करने की अपील
पीयूष गोयल का यह बयान उस समय आया, जब सीआईआई के कुछ सदस्यों के साथ ही टाटा संस के अग्रवाल ने युवाओं के कौशल पर अधिक जोर देने की वकालत की और डीसीएम श्रीराम के चेयरमैन ने कोरोना की मार झेल रही छोटी कंपनियो को मदद करने की अपील की।
‘कुछ के लालच को बहुतों की जरुरत से आगे न रखें’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कुछ लोगों को बहुत अधिक लाभ मिलना देश के लिए बड़ी समस्याएं पैदा कर सकती हैं। उन्होंने उद्योगपतियों से अपील की कि कुछ के लालच को बहुतों की जरुरत से आगे न रखें। पीयूष गोयल ने कहा कि सामाजिक विकास भी उद्योग की जिम्मेदारी होती है। उन्होंने देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के पास अविकसित आदिवासी क्षेत्रों का उल्लेख करते हुए कहा कि देश इस तरह की असामनता को कितना सहन कर सकता है। इसकी एक सीमा है।
पालघर भूमि अधिग्रहण का दिया उदाहरण
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब हम हाई स्पीड रेल कोरीडोर के लिए पालघर में जमीन अधिग्रहण करने की कोशिश कर रहे थे, तब इसका जमकर विरोध हुआ। वे पूछ रहे थे कि आपने हमारे लिए क्या किय? आप हमारी जमीन ले रहे हैं, और सड़क, बुनियादी ढांचा रेलवे ला रहे हैं, लेकिन हमारे जीवन में कोई सुधार नहीं हुआ। गोयल ने कहा कि यह चिंता का कारण है, क्या पता लोगों का धैर्य खत्म हो जाए। गोयल ने कहा कि सिनर्जी यानी तालमेल एक संयुक्त और गंभीर जिम्मेदारी है। यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है।