अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा! राष्ट्रपति अशरफ गनी ने छोड़ा देश

तालिबान की वापसी अफगानिस्तान की महिलाओं के लिए चिंता की बात मानी जा रही है। पिछले दिनों कंधार में तालिबान विद्रोहियों ने आजीजी बैंक के कार्यालय में प्रवेश कर काम करने वाली महिलाओं को वहां से जाने का आदेश दिया था।

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अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया है। इसके बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ दिया है। उनके देश छोड़ने से पहले तालिबानी आतंकियों का एक दल राष्ट्रपति भवन सत्ता हस्तांतरण के लिए पहुंचा था। फिलहाल जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार 15 अगस्त को नई अंतरिम सरकार के प्रमुख के रुप में अली अहमद जलाली को चुनाव गया है। फिलहाल सत्ता हस्तांतरण के मामले में उच्च परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला के मध्यस्थता करने की जानकारी मिल रही है।

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के साथ सत्ता हस्तांतरण की अंतरिम व्यवस्था की जा रही है। इससे पहले तालिबान ने बयान जारी किया है कि वे महिलाओं के अधिकारों का आदर करते हैं। महिलाएं अकेली घर में रह सकती हैं। इसके साथ ही उन्हें शिक्षा ग्रहण करने और नौकरी तथा रोजगार करने की अनुमति दी जाएगी। लेकिन उन्हें हिजाब पहनना होगा।

महिलाओं की बढ़ी चिंता
तालिबान की वापसी अफगानिस्तान की महिलाओं के लिए चिंता की बात मानी जा रही है। पिछले दिनों कंधार में तालिबान विद्रोहियों ने आजीजी बैंक के कार्यालय में प्रवेश कर काम करने वाली महिलाओं को वहां से जाने का आदेश दिया था। तालिबान ने कहा था कि पुरुष रिश्तेदार उनकी जगह नौकरी कर सकते हैं।

तालिबान लड़ाकों को गोली दागने का अधिकार
विद्रोही गुट ने बताया कि तालिबान लड़ाकों को अभी जश्न मनाने के लिए गोलियां दागने की अनुमति है। क्योंकि शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया अभी भी जारी है। तालिबान ने कहा कि अगर विदेशी अपना देश जाना चाहते हैं तो जा सकते हैं। लेकिन अगर वे रहना चाहते हैं तो तालिबान प्रशासकों के बनाए कानून का पालन करना पड़ेगा।

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सेना की विफलता पर सवाल
बता दें कि अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है। अफगान सेना की विफलता पर सवाल उठ रहे हैं। जिनके भरोसे अशरफ गनी सेना को फिर से संगठित करने का दावा कर रहे थे, उन्होंने पिछले कुछ दिनों में तालिबान के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

डरावना था तालिबान का शासन
तालिबान का 1996 से 2001 तक का शासन का काफी डरावना रहा था। पहले के शासन में कोड़े मारना, पत्थर मारना  सजा का सामान्य तरीका था। हालांकि इस बार तालिबान ने कहा है कि वह सजा के मामले में अदालतों पर निर्भर करेगा। यहां तक कि मीडिया को भी प्रशासन की आलोचना करने का अधिकार होगा।

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