अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2020 में डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रत्याशी जो बाइडेन काफी बढ़त बनाए हुए हैं। वे रिपब्लिक पार्टी के उम्मीदवार और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से काफी आगे चल रहे हैं। हालांकि हारने की हालत में ट्रंप कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं और इसके नतीजे आने में देर हो सकती है। लेकिन जो बाइडेन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की जीत भारत का टेंशन बढ़ा सकता है। ये पिछले कई मौकों पर ऐसे बयान दे चुके हैं, जो भारत के हितों के खिलाफ है।
सीएए, एनआरसी के खिलाफ हैं बाइडेन
डेमोक्रेटिक जो बाइडेन भारत सरकार के दो फैसलों की खुलेआम आलोचना कर चुके हैं। उन्होंने कश्मीर में भी पुरानी स्थिति बहाल करने की वकालत की थी। बाइडेन की चुनावी बेवसाइट पर मुस्लिम-अमरीकियों के लिए एजेंडा में नागरिकता संशोधन अधिनियम( सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर( एनआरसी) का विरोध किया गया है। बाइडेन की ओर से कहा गया है कि सीएए और एनआरसी, भारत में सेक्युलरिज्म की परंपरा के अनुसार उचित नहीं है।
पाकिस्तान के प्रति नरम रहे हैं बाइडेन
जो बाइडने पूरी तरह डिप्लोमेट हैं और कई मौकों पर वे पाकिस्तान की तरफदारी कर चुके हैं। इसलिए 2008 में पाकिस्तान की ओर से उन्हें हिलाल-ए-पाकिस्तान की उपाधि दी गई थी। इसके साथ ही पाक को चार साल तक 7.5 बिलियन डॉलर की मदद दिलाने में भी उनकी अहम भूमिका रही थी। पाकिस्तान इस बात से खुश है कि जो बाइडेन जीत की ओर बढ़ रहे हैं। पाकिस्तान का मानना है कि बाइडेन जीतने पर कश्मीर मुद्दा उठा सकते हैं।
ये भी पढ़ेंः अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावः कैसे-कैसे विवाद ?
कश्मीर मुद्दे पर कमला हैरिस का रुख
वैसे तो कमला हैरिस भारतीय मूल की महिला हैं, लेकिन वह यहां के संविधान से अनुच्छेद 370 हटाने का विरोध कर चुकी हैं। 2019 के अक्टूबर में उन्होंने कहा था कि अगर हालात बिगड़े तो कश्मीर में हस्तक्षेप की आवश्यकता पड़ सकती है। सितंबर 2020 में चुनाव प्रचार के दौरान कमला हैरिस ने कहा था ‘मैं उन लोगों से कहना चाहती हूं कि वे अकेले नहीं हैं। हम देख रहे हैं।’ उन्होंने कहा था कि अमेरका कश्मीर में होनेवाली घटनाओं पर असर डाल सकता है लेकिन इसके लिए हमारा एक प्रतिनिधि वहां होना चाहिए। हैरिस ने कहा था, ‘हमारे आदर्शों का हिस्सा है कि हम मानवाधिकार के उल्लंघन का विरोध करते रहे हैं और जरुरत पड़ने पर हस्तक्षेप भी करते रहे हैं।’
सीएए के खिलाफ हैं कमला हैरिस
कमला हैरिस उन अमेरिकी सीनेटर्स में रही हैं, जिन्होंने भारत में नागरिका संशोधन अधिनियम( सीएए) के विरोध में आवाज उठाई थे। उन्होंने वर्ष 2019 में एक प्रस्ताव पेश किया था। उसके बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सीनेटर प्रमिला जयपाल से मिलने से इनकार कर दिया था। हैरिस ने ट्विट कर जयपाल का समर्थन किया था।
Join Our WhatsApp CommunityIt’s wrong for any foreign government to tell Congress what members are allowed in meetings on Capitol Hill. I stand with @RepJayapal, and I'm glad her colleagues in the House did too. https://t.co/PpbDoB0zKB
— Vice President Kamala Harris (@VP) December 20, 2019