अफगानिस्तान को लेकर भारत का स्टैंड अभी तक स्पष्ट नहीं हैं। भारत सरकार ने अभी तक न तो तालिबान के समर्थन में कोई बयान जारी किया है और न ही विरोध में कोई बात कही है। हालांकि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि भारत अफगानिस्तान में जारी गतिविधियों पर पैनी नजर रखे हुए है। इसके साथ ही सरकार ने वहां फंसे अपने नागरिकों को जल्द से जल्द निकालने की कवायद शुरू की है।
भारतीय सेना के ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) और रक्षा विशेषज्ञ हेमंत महाजन ने भारत की वेट एंड वाॉच पॉलिसी का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि भारत कश्मीर और अन्य बॉर्डर एरिया में किसी भी तरह के हमले पर काबू पाने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान भारत को किसी भी तरह के नुकसान पहुंचाने में सफल नहीं होगा। ब्रिगेडियर (रि.) महाजन ने कहा कि अमेरिकी सेना तालिबानी लड़ाकों से डर गई, लेकिन आज की भारतीय सेना किसी से नहीं डरती और वह हर देश को मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है।
भारत अपनाए वेट एंड वॉच पॉलिसी
ब्रिगेडियर( रिटायर्ड) और रक्षा मामलों के विशेषज्ञ हेमंत महाजन ने स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के फेसबुक और यूट्यूब पेज पर लाइव अफगानिस्तान के हालात पर बात करते हुए कहा कि वहां की स्थिति अभी अनस्टेबल है और यह कहना मुश्किल है कि वहां भविष्य में किस तरह के हालात बनेंगे। इसलिए भारत को वेट एंड वॉच की पॉलिसी अपनानी चाहिए।
यह हो भारत की प्राथमिकता
ब्रिगेडियर(रि.) महाजन ने कहा कि भारत की प्राथमिकता अफगानिस्तान में फंसे लोगों को जल्द से जल्द निकालने की होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अभी भी 4 हजार से अधिक भारतीय अफगानिस्तान में फंसे हैं और उनकी सुरक्षित वापसी भारत सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
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पाकिस्तान-चीन के लिए भी अफगानिस्तान से दोस्ती आसान नहीं
ब्रिगेडियर महाजन ने कहा कि पाकिस्तान के लिए अफगानिस्तान से दोस्ती आसान नहीं होगी। इससे अफगान में ड्रग्स पेडलिंग और आतंकवादी गतिविधियां बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि चीन के लिए भी अफगानिस्तान से दोस्ती घाटे का सौदा होगा। अफगानिस्तान की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि चीन को उसे कंट्रोल करने में कई तरह की मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। महाजन ने कहा कि अफगानिस्तान में आतंकी गतिविधियां इतनी आसानी से रुकने वाली नहीं है।
‘भारत अफगानिस्तन पर तभी करे भरोसा’
भारत के स्टैंड को लेकर उन्होंने कहा कि भारत को अफगानिस्तान पर अभी भरोसा नहीं करना चाहिए और वहां विकास तथा जनकल्याण के काम तभी शुरू करने चाहिए, जब वह विश्वास दिलाने में सफल हो जाए कि वह भारत को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाएगा।