रेलवे – सरकार में ‘लोकल’ फाइट

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मुंबई की लाइफ लाइन कही जानेवाली लोकल ट्रेनों में सफर करने की इजाजत मिलने की उम्मीदों पर एक बार फिर पानी फिरता नजर आ रहा है। 28 अक्टूबर को महाराष्ट्र के राहत व पुनर्वसन मंत्री विजय वडेट्टीवार ने आम लोगों के लिए मुंबई लोकल जल्द शुरू करने का दिलासा दिया था तो ऐसा लगा था कि अब बहुत जल्द मुंबईकरों की यह मुराद पूरी हो जाएगी, लेकिन उनके आश्वासन के एक हफ्ते से ज्यादा समय हो चुका है, और अभी तक इस बारे में सिर्फ सियासत होती ही दिख रही है।

रेलवे और राज्य सरकार में सियासत
इससे संबंधित जो जानकारियां मीडिया तक आ रही हैं, उससे तो यही लगता है कि रेलवे और राज्य सरकार की सियासयत की वजह से अभी तक मुंबई में आम लोगों के लिए लोकल शुरू नहीं की जा सकी है। रेलवे जहां इसके लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है, वहीं राज्य सरकार इसके लिए रेलवे को कटघरे में खड़ा कर रही है।

पत्र देने के बाद क्या?
राज्य सरकार ने आम लोगों को लोकल में यात्रा करने की अनुमति देने के लिए रेलवे को पत्र लिखा था। मिली जानकारी के अनुसार रेलवे ने उस पत्र का उत्तर अविलंब दे दिया था। लेकिन इस बारे में निर्णय लेने के लिए रेलवे और राज्य सरकार को बैठक करने का समय अब तक नहीं मिल पाया है। अब तो यह विवाद एक कदम और आगे बढ़ गया है। अब यह विवाद राज्य सरकार बनाम केंद्र सरकार हो गया है। राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा है कि लोकल में आम लोगों को यात्रा करने की इजाजत देने में रेलवे रोड़े अटका रही है। इस वजह से इसमें विलंब हो रहा है।

रेलवे प्रवासी संगठन का आक्रामक रुख
सबसे अहम बात यह है कि रेलवे और राज्य सरकार की इस लड़ाई में आम लोग परेशान हो रहे हैं। लोगों की परेशानी को देखते हुए अब रेलवे प्रवासी संगठन ने आंदोलन करने की तैयारी दिखाई है। उसने कई मुद्दे उठाते हुए रेलवे और राज्य सरकार पर सवाल दागे हैं।

  • आज भी 25 फीसदी मुंबईकर कारोना के डर से घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं। जिन्हें आवश्यक काम होता है, सिर्फ वे ही लोकल में यात्रा करते हैं।
  • अधिकांश लोग खतरे से वाकिफ हैं, इसलिए वे खुद ही कोरोना के दिशानिर्देशों का पालन करते हैं।
  • पिछले 5 महीनों से लोग नियमों का उल्लंघन कर बस में यात्रा कर रहे हैं। यात्रियों की संख्या ज्यादा होने की वजह से 15 मिनट की यात्रा करने मे लोगों का एक घंटा बर्बाद हो रहा है। क्या इससे कोरोना का खतरा नहीं बढ़ रहा है?
  • कोरोना खत्म होने में दो साल का समय भी लग सकता है, तब तक क्या लोगों को मुंबई लोकल ट्रेनो में सफर करने की इजाजत नहीं दी जाएगी?
  • सार्वजनिक स्थानों पर लोगों के बीच एक मीटर की दूरी रखने के नियमों का पालन करना का कभी भी संभव नहीं हो पाएगा। इस तरह के नियम सिर्फ कहने के लिए हैं, व्यवहार में लाना असंभव है। इसलिए रेलवे में यात्रा और कोरोना से संबंधित सभी नियमों का पालन दोनों कभी भी संभव नहीं है। यह हकीकत रेलवे और राज्य सरकार को स्वीकार करना चाहिए।
  • दो महीना पहले रेलवे मंत्री व रेल्वे मंत्रालय ने कहा था, ‘हम मुंबई में लोकल ट्रेन पहले की तरह शुरू करने के लिए तैयार हैं, लेकिन राज्य सरकार ने इसके लिए हमें कोई प्रस्ताव नहीं भेजा है। अब जब राज्य सरकार ने पत्र लिखकर मुंबई में आम लोगो के लिए ट्रेन शुरू करने का आग्रह किया है तो फिर वह देर क्यों कर रही है?’
  • सबके लिए लोकल यात्रा शुरू किए बिना मुंबई की अर्थ व्यवस्था में सुधार मुश्किल है। इसलिए जल्दी से जल्दी सभी को लोकल में यात्रा करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

रेलवे का राज्य सरकार के पत्र का जवाब
राज्य सरकार द्वारा भेजे गए पत्र का रेलवे प्रशासन ने उत्तर दिया था। जिसमें  लोकल शुरू करने के बाद भीड़ को नियंत्रित कैसे किया जाएगा, यह सवाल उठाते हुए रेलवे ने राज्य सरकार के साथ बैठक कर इस समस्या के समाधान के लिए कदम उठाने की बात कही थी। इसके साथ ही प्रत्येक एक घंटे पर महिला स्पेशल ट्रेन चलाने में उसने असमर्थता जताई थी।

महिलाओं के लिए लोकल शुरू करने के लिए हमने जो पत्र रेलवे को दिया था, उसमें नियोजन करने के लिए हमने पूरा विवरण दिया था। हमने आम लोगों को मुंबई लोकल में यात्रा करने की इजाजत देने के लिए रेलवे को तीन पत्र लिखे हैं। लेकिन उसमें कमियां निकाली जा रही हैं। अगर रेलवे को इसका श्रेय लेना है तो हमें कोई ऐतराज नहीं है। हम सभी के लिए लोकल शुरू करने के लिए तैयार हैं।

विजय वडेट्टीवार, मदत आणि पुनर्वसन मंत्री

लोकल बंद होने से आम मुंबईकरों को नाहक ही परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लोकल शुरू करने के लिए नियोजन के बारे में रेलवे को राज्यपाल ने भी पत्र में विस्तार से बताया है। लेकिन सरकार और रेलवे ने लोकल शुरू करने के लिए नियोजन को लेकर गंभीरता से विचार नहीं किया है। इनकी राजनीति का खमियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

मधू कोटीयन, अध्यक्ष, मुंबई रेल्वे प्रवासी संघ

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