अफगानिस्तान में लोगों के लिए जीना दिनोंदिन कठिन होते जा रहा है। लोगों की नौकरियां चली गई हैं और रोजगार भी छीन गए हैं। जिन लोगों की नौकरियां बची हैं, उन्हें भी वेतन नहीं मिल रहा है। बैंक बंद हैं और सड़कों पर दहशत फैली हुई है। इस बीच समस्या यह भी है कि पश्चिमी देशों से मनी एक्सचेंज नहीं हो रहा है। इस स्थिति में वहां के लोगों के लिए एक-एक दिन का गुजारा मुश्किल हो रहा है।
इस बीच जो लोग अफगान सरकार के कार्यकाल में पुलिस और सेना जैसे विभागों में कार्यरत थे, वे तालिबानियों के निशाने पर हैं। ऐसे लोग छिपकर जीने को मजबूर हैं। इन्हे इस बात का हमेशा डर लगा रहता है कि अगर इनकी पहचान उजागर हो गई तो तालिबानी लड़ाके इन्हें केवल और केवल मौत की सजा देंगे। उसके बाद इनके बच्चों और परिवार का क्या होगा, इस तरह की चिंता ने इनकी जिंदगी नरक कर दी है।
कई तरह की परेशानी
परेशानी की एक बात यह भी है कि बहुत से लोग किराए के घरों में रहते हैं। लेकिन उनकी आमदनी बंद होने से वे मकान मालिकों को किराया नहीं दे पा रहे हैं। कई मकान मालिक इनकी परेशानी समझते हैं तो कई नहीं समझते और किराया लेने पर अड़ जाते हैं। इस स्थिति में ज्यादातर लोगों के पास जिंदगी गुजारने के लिए भी पैसे नहीं हैं। कुछ लोगो के पास गहने तो हैं, लेकिन कोई खरीदार नहीं है। बाजार बंद पड़े हैं और ज्यादातर दुकानें भी बंद हैं। इस स्थिति में लोग बेहद असहाय महसूस कर रहे हैं।
अमेरिकी सपोर्ट हटते ही खस्ताहाल हुई अर्थव्यवस्था
अमेरिका के सपोर्ट से अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था जैसे-तैसे चल रही थी, लेकिन अब उसने अपना हर तरह का सपोर्ट हटा लिया है। दरअस्ल अफगानिस्तान की स्थिति उसी समय से खराब होने लगी थी, जब अमेरिका ने वहां से अपनी सेना को हटाना शुरू कर दिया था। अब जब लोगों के पास पैसे नहीं हैं और अर्थव्यवस्था तबाह हो चुकी है तो खाने-पीने की चीजें काफी महंगी हो गई हैं। वे आम लोगों की पहुंच से दूर जाती दिख रही हैं।
भविष्य की चिंता
समस्या यह भी है कि अगर कोई उनकी विदेश से मदद करना चाहे तो भी नहीं कर सकता। इसका कारण यह है कि बैंक और बैंकिंग सेवाएं बंद हैं। इस स्थिति में कहना मुश्किल है कि अफगानिस्तान में लोगों का भविष्य कैसा होगा।