पंजाब कांग्रेस में कलह समाप्त होने का नाम नहीं ले रही है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के न चाहने के बावजूद नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस ने नया नेतृत्व तैयार करने का प्रयास तो किया लेकिन उसका यह प्रयास परेशानी का कारण बनते जा रहा है। पार्टी नेतृत्व इस लड़ाई में खुद को फंसा महसूस कर रहा है। कैप्टन और सिद्धू के रुख को देखकर कहा जा रहा है कि फिलहाल यह कलह खत्म होने के उम्मीद न के बराबर है।
पंजाब में पार्टी के अंदर जारी कलह को लेकर कहा जा रहा है कि अभी से जब यह हाल है तो 2022 के चुनाव से पहले टिकट बंटवारे के समय क्या होगा? इसका कारण यह है कि इस दौरान दोनों ही अपने-अपने लोगों को ज्यादा से ज्यादा टिकट देने का प्रयास करेंगे, ताकि चुनाव बाद वे उनके दम पर अपना वर्चस्व स्थापित कर सकें।
Glimpses from the evening at dinner hosted by @iranasodhi for @INCPunjab MPs & MLAs joined by @capt_amarinder https://t.co/7BUbhVGnEM pic.twitter.com/YNvGDkgwr3
— Raveen Thukral (@Raveen64) August 26, 2021
पार्टी नेता मायूस
पंजाब कांग्रेस के नेता इन दो बड़े नेताओं के बीच जारी जोर आजमाइश से मायूस बताे जा रहे हैं। इसका कारण यह है कि पिछले कई महीनों से इनके बीच जारी लडाई के कारण पार्टी 2022 में होने वाले चुनाव की कोई तैयारी नहीं कर पाई है। पार्टी नेताओं का कहना है कि जब पार्टी के वरिष्ठ नेता इस तरह से झगड़ते रहेंगे तो फिर चुनाव में दूसरी पार्टियों का मुकाबला करना असंभव हो जाएगा और इसका खमियाजा पार्टी को भुगतना पड़ेगा।
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कांग्रेस के प्सल पॉइंट
किसान आंदोलन, भारतीय जनता पार्टी और अकाली दल में गठबंधन खत्म होना और कैप्टन के काम के दम पर पंजाब में पार्टी को जीत का भरोसा था लेकिन पिछले कुछ महीनों से जिस तरह की अंदरुनी कलह उभर कर सामने आ रही है, उससे उनका विश्वास कमजोर हुआ है।
सिद्धू के सलाहकरों ने शुरू किया विवाद
पार्टी नेताओं का कहना है कि इस बार नवजोत सिंह सिद्धू पर सख्ती से लगाम कसना चाहिए। उनका मानना है कि इस बार का विवाद सिद्धू के सलाहकरों के विवादास्पद बयान के बाद शुरू हुआ है। कांग्रेस महासचिव और पंजाब के पार्टी प्रभारी हरीश रावत ने कहा है कि सिद्धू के सलाहकारों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि सलाहकारों ने जम्मू-कश्मीर को लेकर विवादास्पद बयान दिया था।