देश भर में जन्माष्टमी की धूम, ऐसे करें पूजा-अर्चना

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देश भर में 30 अगस्त को भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। कोरोना के प्रकोप के बावजूद भगवान श्री कृष्ण के भक्तों और श्रद्धालुओं में इस त्योहार को लेकर उत्साह बना हुआ है। इस दिन बहुत ही विधि पूर्वक भगवान के बाल रूप की पूजा अर्चना की जाती है और व्रत भी रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से मन शुद्ध हो जाता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रमास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। हर वर्ष इस दिन उनका जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। पीएम नरेंद्र मोदी समेत सभी बड़े नेताओं ने इस पर्व पर देशवासियों को बधाई दी है।

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ऐसे करें पूजा
सुबह जल्दी स्नान कर घर के मंदिर की साफ-सफाई कर लें।
मंदिर में दीप जलाएं और सभी देवी-देवताओं का जलाभिषेक करें।
श्री कृष्ण के बाल रूप की पूजा लड्डू गोपाल के रूप में की जाती है।
लड्डू गोपाल को झूले में बैठाएं और झूलाएं।
लड्डू गोपाल को सात्विक चीजों का भोग लगाएं।
लड्डू गोपाल की सेवा पुत्र की तरह करें।
रात मे भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना करें।
लड्डू गोपाल को मिश्री, मेवा विशेष पसंद हैं,इनसे उनका भोग लगाएं।
लड्डू गोपाल को भोग लगाएं और आरती करें।
लड्डू गोपाल का श्रद्धापूर्वक ध्यान रखें और सेवा करें।

 मुहूर्त
30 अगस्त, रात 11 बजकर 59 मिनट से देर रात 12 बजकर 44 मिनट तक
अवधि
45 मिनट
कई श्रद्धालु रोहिणी नक्षत्र के समापन के बाद भी व्रत का पारण करते हैं।
पारण मुहूर्त
कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत में रात्रि को लड्डू भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की पूजा-अर्चना की जाती है। उसके बाद प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण किया जाता है। कई भक्त व्रत का पारण अगले दिन करते हैं।
पारण समय
31 अगस्त, सुबह 9 बजकर 44 मिनट के बाद
रोहिणी नक्षत्र का शुभारंभ
30 अगस्त, सुबह 6 बजकर 39 मिनट से
समापन
31 अगस्त, सुबह 9 बजकर 44 मिनट पर

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