वायु प्रदूषण के कई साइड इफेक्ट हैं। यह जहां लोगों को बीमार कर रहा है, वहीं उनकी उम्र भी घटा रहा है। वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक यानी एक्यूएलआई द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में दिल्ली और कोलकाता का शुमार है। इन शहरों के लोगों की उम्र इस वजह से नौ साल कम हो रही है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल वायु गुणवत्ता को डब्ल्यूएचओ के मानकों के अनुरुप स्वच्छ बनाने में सफल हो जाएं तो इन देशों के नागरिकों की औसत आयु 5.6 साल बढ़ सकती है।
लोगों की बढ़ सकती है आयु
एक्यूएलआई ने 31 अगस्त को अपनी ताजा रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण से मुक्ति विश्व भर के लोगों को औसत आयु में दो साल से पांच साल तक की वृद्धि दिला सकती है। दो साल उन देशों में जहां प्रदूषण का स्तर कम है और पांच साल उन देशों में जहां प्रदूषण अधिक है। भारत और इसके पड़ोसी देशों में लोगों की उम्र 5.6 साल बढ़ सकती है।
इन प्रदेशों में बढ़ा प्रदूषण
भारत, पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश विश्व के सबसे अधिक घनी आबादी वाले देशों में शामिल हैं। भारत की बात करें तो यहां के गंगा के मैदानी क्षेत्र में 48 करोड़ लोग रहते हैं और इन क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर काफी अधिक है। रिपोर्ट में बतााया गया है कि अब प्रदूषण गंगा के मैदानी भाग से आगे मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र आदि राज्यों में फैल गया है। इन प्रदेशों में वायु प्रदूषण के कारण लोगों की आयु करीब 2.9 साल कम हो रही है। जबकि केंद्र द्वारा संचालित राष्ट्रीय स्वच्छ हवा कार्यक्रम के लक्ष्य राष्ट्रीय जीवन प्रत्याशा को 1.7 तक बढ़ाने में सहायता कर सकते हैं।
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नौ साल कम हो रही लोगों की उम्र
अगर वर्ष 2019 की तरह प्रदूषण जारी रहा तो दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे महानगरों में प्रदूषण दुनिया के सबसे खतरनाक स्तर पर पहुंच सकता है और इन महारनगरों के लोगों की आयु नौ साल कम हो सकती है।
प्रदूषण बढ़ने के ये हैं मुख्य कारण
रिपोर्ट के अनुसार धूम्रपान जैसे अन्य स्वाथ्य जोखिमों की तुलना में वायु प्रदूषण जीवन प्रत्याशा को सबसे अधिक 1.8 वर्ष कम कर देता है। असुरक्षित पानी और स्वच्छता 1.2 साल तक और शराब तथा नशीले पदार्थों के सेवन से 1 वर्ष आयु कम हो सकती है। ईंधन संचालित वाहन वायु प्रदूषण की एक बड़ी समस्या हैं।