अफगानिस्तान में फंसे 200 अमेरिकी नागरिकों का क्या होगा?

विश्व बैंक और यूनेस्को ने अफगानिस्तान को सहायता देना बंद कर दिया है। इसलिए कुछ महीनों में तालिबान को वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।

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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने 31 अगस्त तक पूरी सेना को वापस बुलाने का फैसला किया था, लेकिन वास्तव में 30 अगस्त की रात को ही पूरी सेना वापस चली गई और काबुल हवाई अड्डे से अमेरिकी नागरिकों और शरणार्थियों को लेकर अमेरिका के आखिरी विमान ने उड़ान भरी। अब चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। 200 से ज्यादा अमेरिकी अभी भी अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं। ओबामा प्रशासन के पूर्व सदस्य मार्क जोकेब ने पूछा है कि अब अमेरिकी प्रशासन क्या करेगा, लेकिन जो बाइडन के पास इस प्रश्न का कोई जवाब नहीं है।

जो बाइडन की आलोचना
जो बाइडन द्वारा 30 अगस्त को मीडिया में की गई टिप्पणी की संयुक्त राज्य अमेरिका में आलोचना हुई है। बाइडन ने कहा, “अमेरिका ने अब तक अफगानिस्तान से 122,000 लोगों को सुरक्षित निकाला है। अफगानिस्तान में छूटे 200 लोगों में से कुछ अमेरिकी ग्रीन कार्ड धारक हैं, जबकि अन्य अमेरिकी मूल के हैं। ये सभी अपने पीछे छूटे परिवारों की चिंताओं के कारण विमान पर नहीं चढ़े।”

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सता रहा है ऐसा डर
आतंकवादी संगठन आईएसआईएस ने दशकों पहले खुलेआम और बेरहमी से अमेरिकी और यूरोपीय देशों के नागरिकों की गला काटकर हत्या की थी। अब एक बार फिर उस घटना की अफगानिस्तान में पुनरावृत्ति का डर सता रहा है क्योंकि दुनिया ने तालिबान से संबंध तोड़ लिया है।

नागरिकों का तालिबान कर सकता है इस्तेमाल
विश्व बैंक और यूनेस्को ने अफगानिस्तान को सहायता देना बंद कर दिया है। इसलिए कुछ महीनों में तालिबान को वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। इस स्थिति में तालिबान पैसे के लिए वहां फंसे अमेरिकी नागरिकों को डराने-धमकाने की कोशिश कर सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि तालिबान इन अमेरिकी नागरिकों का इस्तेमाल उन्हें डरा-धमका कर दुनिया से वित्तीय मदद मांगने के लिए कर सकता है।

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