प्रसव पीड़ा में भी रातभर इंतजार… एक मां की वेदनादायी कहानी

विकास की यात्रा में अब भी कई क्षेत्र पिछड़ गए हैं। शहरों के नाम चकाचौंध और वैभव जरूर लग गया है परंतु ग्रामीण क्षेत्र अब भी प्राथमिक सुविधाओं से वंचित हैं।

199

महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार का नाम ‘महाविकास’ के नाम शुरू होता है, राष्ट्र स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मना रहा है, परंतु एक माता को अपना नौनिहाल जनने के लिए रात भर वेदना में सहना पड़ता है। जानते हैं क्यों? क्योंकि उनके गांव तक अभी सड़क, पुल जैसे संसाधन नहीं विकसित हो पाए हैं।

यह सच्चाई है गडचिरोली जिले के वेंगणुर गांव की। जहां गांव से प्राथमिक आरोग्य केंद्र 9 किलोमीटर दूर रेगडी में बना हुआ है। वहां पहुंचने के लिए नाला और जलाशय की बाधा है। जिसके कारण सुमित्रा नरोटे नामक एक प्रसुता को रात भर प्रसव पीड़ा सहनी पड़ी। रात्रि में बोट से जलयात्रा संभव न होने के कारण असहनीय पीड़ा में रात बीती और सुबह घरवालों ने बोट की सहायता से प्राथमिक आरोग्य केंद्र पहुंचाया।

ये भी पढ़ें – मछुआरे का किस्मत कनेक्शन… ऐसी है सवा करोड़ की मछली

हो तो नौ किलोमीटर ही, पर जानलेवा है
गडचिरोली जिले में वेंगणुर गांव जैसे कई गांव हैं जो इतने अंदर बसे हैं कि वहां प्राथमिक आरोग्य केंद्र तो छोड़िये, सड़क पर गिट्टियां और नदी-नालों पर पुल भी नहीं हैं। इसीलिए सुमित्रा जैसी गर्भवती या बीमार लोगों को इन नदी-नालों की जल यात्रा करनी पड़ती है और इसके लिए दिन का इंतजार कई बार जान ले चुका है।

होती रही है पुल की मांग
रेगडी से वेंगणूर मार्ग में पड़नेवाले नालों और कन्नमवार जलाशय पर पुल की मांग लंबे काल से हो रही है। परंतु, प्रशासन गंभीरता से इस ओर लक्ष्य नहीं दे रहा है। जिसके कारण स्थानीय लोगों को छोटे से काम के लिए भी इंतजार करना पड़ता है। जबकि स्वास्थ्य सुविधा लेने के लिए यहां की समस्याएं कई बार जानलेवा हो जाती हैं।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.