‘युवराज’ के सेनापति साफ!

महाविकास आघाड़ी के तीनों दलों की एक सूची राज्यपाल के पास मनोनयन के लिए सौंप दी गई है। इसमें प्रत्येक दल के चार नाम शामिल हैं। इन 12 नामों की सूची में उर्मिला मातोंडकर की बल्ले-बल्ले हो गई तो शिवसेना के युवराज आदित्य ठाकरे का साथ देनेवाले दो पूर्व विधायकों और दो पदाधिकारियों के करियर पर फिलहाल के लिए स्टेटस-को लग गया है।

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कई दिनों तक चली माथापच्ची के बाद महाविकास आघाड़ी ने 12 नामों की सूची राज्यपाल के मनोनयन के लिए सौंप दी है। इसमें कांग्रेस की उर्मिला मातोंडकर को शिवसेना ने अपनी सूची में जगह दी है तो दूसरी तरफ शिवसेना के ‘युवराज’ के सेनापतियों का नाम सूची से साफ है।

महाविकास आघाड़ी के तीनों दलों की एक सूची राज्यपाल के पास मनोनयन के लिए सौंप दी गई है। इसमें प्रत्येक दल के चार नाम शामिल हैं।

इन 12 नामों की सूची में उर्मिला मातोंडकर की बल्ले-बल्ले हो गई तो शिवसेना के युवराज आदित्य ठाकरे का साथ देनेवाले दो पूर्व विधायकों और दो पदाधिकारियों के करियर पर फिलहाल के लिए स्टेटस-को लग गया है। इसमें सचिन अहीर और सुनील शिंदे का नाम प्रमुख रूप से सामने आया है। सचिन अहीर वर्ली विधानसभा से तीन बार एनसीपी के विधायक रह चुके हैं। 2009 में एनसीपी के कोटे से गृह-निर्माण राज्य मंत्री रहे हैं। जुलाई 2019 में सचिन अहीर अचानक शिवसेना में शामिल हो गए। विधानसभा चुनावों में वे आदित्य ठाकरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ रहे। उनके इस कार्य को देखकर लगने लगा था कि सचिन अहीर, ठाकरे परिवार के बहुत जल्दी घनिष्ठ बन गए। इस घनिष्ठता को देखते हुए लग रहा था कि शिवसेना की सूची में उनका नाम हो सकता है। जबकि दूसरा नाम सुनील शिंदे का है। जिन्होंने अपनी विधायकी ही आदित्य ठाकरे के लिए छोड़ दी। सुनील शिंदे बेहद लंबे समय तक वर्ली के शाखा प्रमुख रहे हैं। शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे के समय से उनका नाम निष्ठावान शिवसैनिकों में लिया जाता है। जब आदित्य ठाकरे के लिए विधानसभा चुनने का समय आया तब सुनील शिंदे ने खुद अपना विधानसभा क्षेत्र अर्पण कर दिया। इसलिए इसकी भरपाई के तौर पर माना जा रहा था कि राज्यपाल नामित विधायकों की सूची में निष्ठा को भी स्थान दिया जाएगा लेकिन आयातित उम्मीदवार सूची में सज गए और निष्ठा बौनी साबित हुई।

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युवासेना को भी मिला गच्चा

आदित्य ठाकरे की युवा सेना से भी दो नाम राज्यपाल नामित विधायकों के लिए आगे चल रहे थे। जिसमें युवा सेना के महासचिव वरुण सरदेसाई और पदाधिकारी सूरज चव्हाण का नाम था। आदित्य ठाकरे के पार्टी में बढ़ते कद को देखते हुए माना जा रहा था इस बार युवा सेना को प्रतिनिधित्व मिलना तय है लेकिन, बच्चा समझकर दोनों नामों को भी गच्चा मिला गया।

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कांग्रेस ने की ब्रांडिंग, शिवसेना ने लपक लिया

राज्य सरकार में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस का गठबंधन है। लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस ने जिसे लोकसभा का टिकट दिया, नेता के रूप में स्थापित किया उसे शिवसेना ने लपक लिया। यहां बात अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर की हो रही है। ऐसा माना जाता रहा है कि उर्मिला को कांग्रेस में लानेवाले तत्कालीन मुंबई अध्यक्ष संजय निरुपम थे बाद में, संजय निरुपम की उत्तर मुंबई सीट से उर्मिला को उम्मीदवारी दी गई। चुनाव में हार के बाद उर्मिला ने कांग्रेस के स्थानीय नेताओं पर आरोप लगाया और हाथ का साथ छोड़ने की घोषणा कर दी। इधर, संजय के दिन भी फिर गए। उनके हाथ से मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद की कुर्सी छिन गई।

उर्मिला के नाम को लेकर कांग्रेस में एक बार फिर सुगबुगाहट तब शुरू हुई जब राज्यपाल नामित विधायकों की सूची बनने लगी। सूत्रों के अनुसार उर्मिला ने कांग्रेस के ऑफर को साफ-साफ ठुकरा दिया जबकि शिवसेना के साथ आ गईं।

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