अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद उसकी पाकिस्तान से करीबी बढ़ती दिख रही है। लेकिन देश के अधिकांश नागरिकों को दोनों की यह करीबी रास नहीं आ रहा है। वे लगातार पाकिस्तान का विरोध कर रहे हैं। तालिबान की दहशत के बावजूद वे काबुल की सड़कों पर पाकिस्तान मुर्दाबाद, आजादी और सपोर्ट पंजशीर के नारे लगा रहे हैं। वे अफगानिस्तान में पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का उग्र विरोध कर रहे हैं।
7 सितंबर को भी आंदोलनकारियों ने काबुल स्थित पाकिस्तान दूतावास पर प्रदर्शन किया और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए। इन्हें तितर-बितर करने के लिए तालिबान ने गोलियां चलाईं।
पाकिस्तान दूतावास पर किया प्रदर्शन
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हजारों की संख्या में लोगों ने पाकिस्तान दूतावास पर प्रदर्शन किया और नारेबाजी की। इस प्रदर्शन में महिलाएं भी बड़ी संख्या में शामिल थीं। इनका कहना है कि अफगनिस्तान को एक स्वतंत्र सरकार चलानी चाहिए, न कि पाकिस्तान की कठपुतली सरकार। लोग पाकिस्तान अफगानिस्तान छोड़ो के नारे लगा रहे थे।
ये भी पढ़ें तालिबान इस तरह बढ़ा रहा है भारत की टेंशन!
काफी पुरानी है दोस्ती
पाकिस्तान पर तालिबान को सपोर्ट करने के आरोप लगते रहे हैं। कई मीडिया रिपोर्ट्स ने इसके पुख्ता सबूत पेश किए हैं कि किस तरह पाकिस्तान अफगानिस्तान सरकार को अस्थिर कर तालिबान का सहयोग करता रहा है। सालों तक तालिबान और अमेरिका के साथ चले संघर्ष में पाकिस्तान ही एक ऐसा देश था, जो हमेशा तालिबान का समर्थन करता रहा। इसके साथ ही तालिबानी हमेश पाकिस्तान को अपना दूसरा घर बताते रहे हैं।