10 सितंबर को देश भर में गणेश चतुर्थी का पर्व पूरे उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। इसी के साथ गणेशोत्सव का शुभारंभ हो गया है। यह उत्सव पूरे विधि-विधान के साथ 9 दिनों तक मनाया जाएगा और 19 सितंबर को पूरी श्रद्धा तथा भक्ति भाव से बप्पा की प्रतिम का विसर्जन किया जाएगा।
10 सितंबर को ब्रह्म और रवियोग में गणपति प्रतिमा की स्थापना की गई। इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है। गणेश चतुर्थी पर पूजन का शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजे 17 मिनट अभिजीत मुहूर्त पर शुरू होकर रात 10 बजे तक रहेगा। इस वर्ष गणेश चतुर्थी पर भाद्रा का प्रभाव नहीं रहेगा।
ऐसे होगी सुख-शांति और सौभाग्य की प्राप्ति
गणेश चतुर्थी के दिन सुबह 11 बजकर 09 मिनट से रात 10 बजकर 59 मिनट तक पाताल निवासिनी भाद्रा रहेगी। यह योग बहुत ही शुभ माना जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन पूजा-अर्चना करने से विघ्नहर्ता की कृपा से सभी विघ्न दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-शांति तथा सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
ये भी पढ़ेंः मुंबई में 144… जानें गणपति दर्शन पर पुलिस का आदेश
गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त, सुबहः 04-31 से सुबह 05-17
अभिजीत मुहूर्त, सुबहः 11-53 से दोपहर 12-43
विजय मुहूर्त,दोपहरः 02-23 से दोपहर 3-12
गोधूलि मुहूर्त,शामः 06-20 से शाम 06-44
अमृत काल प्रातः 06-59 से 08-28
रवि योग प्रातः 06 से दोपहर 12-58
बप्पा को लगाएं भोग
भगवान गणेश की पूजा करते समय दूब, गन्ना और बूंदी के लड्डू चढ़ाएं। मान्यता के अनुसार ऐसा करने से गणेश जी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। कहा जाता है कि गणपति जी को तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए। मान्यता के अनुसार तुलसी ने भगवान गणेश को शादी का प्रस्ताव दिया था, इससे नाराज होकर गणपति ने उन्हें श्राप दे दिया था।