बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को मानसिक रूप से बीमार, बेघर और बिस्तर धरे नागरिकों का टीकाकरण करने और उसकी जानकारी न्यायालय में उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था। उस निर्देश के अनुसार राज्य सरकार ने हलफनामा दाखिल किया। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी.एस. कुलकर्णी की पीठ ने उस पर असंतोष जताया। फिलहाल पीठ ने अधिक विस्तृत हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
राज्य सरकार के हलफनामे में क्या है?
राज्य सरकार की ओर से पेश किए गए हलफनामे में कहा गया है कि 20 हजार 930 बेघर नागरिकों को तलाश किया गया, जिनमें से 8 हजार का टीकाकरण किया गया। साथ ही 1 हजार 761 मानसिक रोगियों का टीकाकरण किया जा चुका है। न्यायालय के आदेश के अनुसार टीकाकरण से वंचित लोगों को ढूंढ़कर टीका लगाने का प्रयास किया गया। वकील अनिल सिंह ने कहा, “हम सड़कों पर रह रहे बेघर लोगों का टीकाकरण नहीं कर सकते। हम उन्हें संक्रमण शिविर में लाएंगे और वहां उनका टीकाकरण करेंगे।”
न्यायालय ने क्या कहा?
इस याचिका में मुंबई महानगरपालिका को भी प्रतिवादी बनाया जाना चाहिए और उसे मानसिक रूप से बीमार तथा बेघर लोगों की संख्या के बारे में भी जानकारी देनी चाहिए। उस जानकारी के आधार पर ऐसे लोगों का टीकाकरण किया जाना चाहिए। अगली सुनवाई के दौरान इस बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश न्यायालय ने राज्य सरकार को दिया है। फिलहाल राज्य राज्य सरकार ने न्यायालय में कहा है कि 1,761 मानसिक रोगियों का टीकाकरण किया जा चुका है। इस पर न्यायालय ने कहा कि यह संख्या संस्थानों में भर्ती मानसिक रोगियों की है। निजी घरों के मानसिक रोगियों के बारे में कोई जानकरी नहीं उपलब्ध कराई गई है। साथ ही बेघर मानसिक रोगियों के बारे में भी जानकारी नहीं दी गई है। वे भी समाज के हिस्सा हैं। हमें उनके टीकाकरण को लेकर नीति बनानी चाहिए।