सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ओबीसी आरक्षण रद्द किए जाने के बाद महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग ने ओबीसी आरक्षण के बिना 5 जिलों के स्थानीय निकाय चुनावों की घोषणा कर दी है। उसे देखते हुए एहतियात के तौर पर 15 सितंबर को हुई राज्य सरकार के कैबिनेट की बैठक में ओबीसी आरक्षण पर अध्यादेश जारी करने का निर्णय लिया गया।
यह अहम जानकारी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मीडिया को दी। अब तक ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर सरकार की ओर से मीडिया को विस्तृत जानकारी देने वाले कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार को इस बार यह अहम घोषणा करने का मौका नहीं दिया गया। इस बात को लेकर चर्चा है। सवाल पूछा जा रहा है कि क्या राकांपा ने महाविकास आघाड़ी सरकार में शामिल कांग्रेस को ओबीसी के मुद्दे पर अलग-थलग कर दिया है?
बच जाएंगी 90% सीटें
बता दें कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की सरकारों ने भी इसी तरह के अध्यादेश जारी किए हैं। आरक्षण के लिए 50 प्रतिशत की सीमा है। उन्हीं की तरह महाराष्ट्र सरकार भी अध्यादेश जारी करेगी। इससे ओबीसी की 10 से 12 फीसदी सीटें कम हो जाएंगी, लेकिन 90% सीटें बच जाएंगी। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद, राज्य चुनाव आयोग ने राज्य के 5 जिलों में पंचायत समिति और जिला परिषद के उपचुनाव की घोषणा की है। इस चुनाव के लिए वोटिंग 5 अक्टूबर को होगी। इसी पृष्ठभूमि में राज्य सरकार ने यह अहम फैसला लिया है।
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रखा गया है, 50% आरक्षण सीमा का ध्यान
इस बीच केंद्र सरकार ने आरक्षण की सीमा निश्चित कर दी है। उसे देखते हुए भुजबल ने दावा किया है कि 50 प्रतिशत की सीमा को पार नहीं किया जाएगा। हम 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण की अनुमति नहीं देंगे। भुजबल ने कहा कि इसी के तहत हम राज्य में अध्यादेश जारी करने जा रहे हैं।