महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री अनिल परब पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। साथ ही नासिक के निलंबित परिवहन निरीक्षक गजेंद्र पाटील पर भी इस तरह के आरोप लगे हैं। उन्होंन मामलों की बॉम्बे उच्च न्यायालय में याचिका दायर स्वतंत्र जांच का अनुरोध किया है। इस पर न्यायमूर्ति एस.एस. शिंदे और न्यायमूर्ति एन.जे. जामदार की पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा है, ”राजनीतिक लड़ाई के लिए न्यायालय का इस्तेमाल न करें।”
गजेंद्र पाटील का दावा
गजेंद्र पाटील की ओर से अधिवक्ता रणजीत सांगले ने दलील दी। सांगले ने कहा कि पाटील ने विभाग में भ्रष्टाचार को उजागर करने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें निलंबित कर दिया गया। इसलिए पाटील के खिलाफ आरोपों की सीबीआई से स्वतंत्र जांच होनी चाहिए।
पीठ की तल्ख टिप्पणी
पीठ ने कहा कि मामले में तत्काल सुनवाई की जरूरत नहीं है। पीठ ने गजेंद्र पाटील को राजनीतिक लड़ाई के लिए न्यायालय का इस्तेमाल न करने का निर्देश देते हुए कहा कि याचिका में जिस तरह से आरोप लगाए गए हैं, उसे देखते हुए दूसरे पक्ष को भी सुना जाना चाहिए। फिलहाल मामले की अगली सुनवाई 8 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी गई।
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याचिका में क्या है?
अपनी याचिका में गजेंद्र पाटिल ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में नासिक पुलिस में भी शिकायत दर्ज कराई थी। उन्हें बॉम्बे उच्च न्यायालय में जाने के बाद पुलिस ने प्रारंभिक जांच शुरू की थी। हालांकि, उसके बाद, पुलिस ने कहा कि मामले की जांच उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। उसके बाद उनकी शिकायत महाराष्ट्र पुलिस महानिदेशक के पास भेज दी गई।