गो कबूतर गो…

कबूतर खाने मुंबई के लिए खतरा बन गए हैं। फुफ्फुस की बीमारी के जनक कबूतर खाने कोरोना में ज्यादा घातक हो गए हैं। इसके इर्दगिर्द रहनेवाले पहले से ही स्वसन संबंधी, रक्त चाप, चर्मरोग जैसी बीमारियों से जूझ रहे थे लेकिन अब कोरोना संकट में इन क्षेत्रों के लोगों पर डबल खतरा बढ़ गया है।

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में जीवदया की भावना से अब प्राणों की दया मांगने का समय आ गया है। शहर में कोरोना ने आतंक मचाकर रखा है। ऐसे में कबूतरों के स्पॉट ने स्वांस के खतरे को ज्यादा खतरनाक कर दिया है। पहले से ही स्वांस संबंधी बीमारियों के कारण कबूतर खानों के आसपास के लोग परेशान थे। ऐसे में अब कोरोना से परेशान मुंबईवासी गो कबूतर… गो कबूतर कहने लगे हैं।

कबूतर खाने मुंबई के लिए खतरा बन गए हैं। फुफ्फुस की बीमारी के जनक कबूतर खाने कोरोना में ज्यादा घातक हो गए हैं। इसके इर्दगिर्द रहनेवाले पहले से ही स्वसन संबंधी, रक्त चाप, चर्मरोग जैसी बीमारियों से जूझ रहे थे लेकिन अब कोरोना संकट में इन क्षेत्रों के लोगों पर डबल खतरा बढ़ गया है।

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… तो फुफ्फुस फुस्स

दिल्ली विश्वविद्यालय के सरदार वल्लभ भाई पटेल चेस्ट इंस्टिट्यूट के नेशनल सेंटर ऑफ रेस्पिरेटरी व एलर्जी विभाग के संशोधन में पाया गया कि कबूतर से दमा, एलर्जी, फुफ्फुस और स्वांस संबंधी करीब 60 प्रकार की बीमारी होती है। कबूतरों की विष्ठा और पंख हवा में उड़ने से जानलेवा बीमारियां उत्पन्न होती हैं। जिन क्षेत्रों में कबूतरों की संख्या अधिक है वहां लोगों में दमा, खांसी, ब्रांकायटिस, स्वांस लेने में दिक्कत, फुफ्फुस धमनी की बीमारी आदि का प्रमाण ज्यादा देखने में मिला है।

कोरोना मरीजों के लिए खतरे की घंटी

कर्नाटक के.वेटरनरी एनिमल एंड फिशरीज के पशु वैज्ञानिकों ने पाया कि कबूतरों के कारण कोरोना संशयितों की संख्या में वृद्धि देखने को मिली है। जिन लोगों को दमा और अस्थमा की बिमारी है उनके लिए कोरोना काल अधिक खतरनाक है। इसलिए ऐसे समय में स्वसन रोग से पीड़ित लोगों को खास ध्यान रखने की आवश्यकता है।

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सावधान कोरोना तैर रहा है…

ठंडी में हवा का घनत्व अधिक होता है। इसलिए इस काल में हवा के साथ मिले हुए कण धरती के करीब होते हैं। ऐसे में हवा में मिले हुए कबूतरों के अवशेष भी उसी के साथ तैरते रहते हैं। कोरोना कंट्रोल टास्क फोर्स के डॉ.संजय ओक ने बताया कि कोरोना के विषाणु फुफ्फुस पर आक्रमण करते हैं। स्वसन संबंधी बीमारियों से प्रभावित लोगों को कोरोना ज्यादा परेशान करता है। भविष्य में कबूतर खाना के बारे में सामाजिक और प्रशासनिक रूप में विचार करना आवष्यक होगा।

चना बिमारी का कारण बना

बोरीवली पश्चिम के चंदावरकर लेन, घाटकोपर पूर्व के कबूतर खाना, सीपी टैंक के कबूतर खाना, दहिसर हाइवे के किनारे जैसे स्थानों पर कुछ व्यापारी चना और अनाज जानबूझकर कर डलते हैं जिससे कबूतरों का यहां आना उनकी संख्या में बढ़ोतरी बड़ी तेजी से हो रही है। मुंबई मनपा के क्लीन अप मार्शल द्वारा अब ऐसे अवैध विक्रेताओं के विरुद्ध कार्रवाई भी की जा रही है।

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