दिल्ली में वायु प्रदूषण कम करने के लिए एनसीआर से लगे राज्यों के साथ बैठक की गई। इस बैठक में पर्यवरण, कृषि, बिजली, पसुपालन मंत्रालयों से संबद्ध मंत्री और अधिकारी शामिल थे। जिसमें सर्दियों के दौरान एनसीआर में बढ़नेवाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए किये जा रहे उपायों पर चर्चा हुई।
उत्तर भारत में अगले एक महीने में धान की कटाई शुरू होगी, जिसके बाद किसान खेत खाली करने के लिए पराली जलाने की शुरुआत करते हैं। इससे पूरा एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) भयंकर वायु प्रदूषण में घिर जाता है। इस समस्या से निपटने के लिए केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने संबंधित हित धारकों से विचार विमर्श किया।
यह देखना सुखद है कि वायु गुणवत्ता आयोग जिस भावना के साथ काम कर रहा है, वह वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा अपनी कार्य योजनाओं के कार्यान्वयन में राज्यों को संवेदनशील बनाने के लिए किए जा रहे व्यापक और गंभीर प्रयासों में दिखता है।
भूपेंद्र यादव, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री
केंद्रीय मंत्री ने आशा व्यक्त कि सभी हितधारकों, स्थानीय प्रशासन, नियामकीय संस्थाओं और प्रवर्तन एजेंसियों के सहयोगपूर्ण प्रयासों के साथ ही जोरशोर से चलाए जा रहे जागरूकता अभियानों से दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु गुणवत्ता में खासा सुधार देखने को मिलेगा।
Chaired a meeting with Haryana CM Shri @mlkhattar ji and Environment Ministers and senior officials from neighbouring states on the preparedness and taking ahead the multi-pronged action plan on air quality. Addressed issues requiring inter-state & inter-ministerial coordination.
— Bhupender Yadav (@byadavbjp) September 23, 2021
पराली के भूसे का किया जाएगा प्रबंधन
- उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और पंजाब में जैव-अपघटन द्वारा पराली का स्थानीय प्रबंधन
- एनसीआर में ताप विद्युत संयंत्रों में पूरक ईंधन के रूप में 50% धान के भूसे के साथ बायोमास का होगा अनिवार्य उपयोग
- राजस्थान और गुजरात में चारे के रूप में गैर-बासमती पराली के उपयोग के तरीके और साधन तैयार करने के लिए एक कार्यबल (टास्क फोर्स) का गठन किया गया
- चावल के भूसे का उपयोग कर सामान्य खाद के विकास की सुविधा और पराली (जैव-अपघटन) के स्थानीय प्रबंधन को प्रोत्साहित करने के लिए निजी भागीदारी
पराली न जलाने के लिए प्रोत्साहन योजना
- हरियाणा सरकार ने पराली जलाने पर रोक लगाने के उद्देश्य से 200 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि आवंटित की
- उत्तर प्रदेश में हो रही 10 लाख एकड़ में पराली के जैव-अपघटन की व्यवस्था और पराली जमा करने पर मिलेगा गाय का गोबर
- हरियाणा सरकार द्वारा एक लाख एकड़ में, पंजाब द्वारा पांच लाख एकड़ में और दिल्ली सरकार द्वारा 4,000 एकड़ भूमि में जैव अपघटन का प्रयास