प्रधानमंत्री इस बार अमेरिका दौरे से कई उपलब्धियों के साथ स्वदेश लौट रहे हैं। उन्होंने जहां अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ दोस्ती का नया अध्याय शुरू किया है, वहीं संयुक्त राष्ट्र में भी सफलता के झंडे गाड़े हैं। इसके साथ ही वे देश के अमूल्य धरोहरों को भी लेकर लौट रहे हैं। अमेरिका से वे देश की 157 कलाकृतियों के साथ पुरावशेषों की विरासत को लेकर स्वदेश आ रहे हैं।
पीम जिन कलाकृतियों और पुरावशेषों को लेकर लौट रहे हैं, वे देश से तस्करी और चोरी कर अमेरिका ले जाए गए थे।
प्रधानमंत्री से अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक वस्तुओं की तस्करी, चोरी और अवैध कारोबार से निपटने की कोशिशों को मजबूती देने की प्रतिबद्धता जताई है।
पीएम मे माना आभार
25 सितंबर को एक आधिकारिक बयान जारी कर बाताया गया कि 157 कलाकृतियों में से आधी यानी 71 सांस्कृतिक कलाकृतियां हैं। अन्य आधे में हिंदू धर्म-60, बौद्ध-16 और जैन धर्म-9 की कलाकृतियां हैं। पीएम ने इसके लिए अमेरिका के प्रति आभार व्यक्त किया है।
200 कलाकृतियां लाई गईं वापस
सरकारी सूत्रों के अनुसार 1976 से 2013 तक देश की विभिन्न सरकारें विदेशों से मात्र 13 कलाकृतियों को लाने में सफलता प्राप्त की थीं। 2014 में जब से मोदी पीएम बने हैं, तब से अब तक लगभग 200 से अधिक कलाकृतियां वापस आ चुकी हैं, जबकि 2004 और 2014 के बीच केवल एक कलाकृति को भारत लाया जा सका था।
ईसा पूर्व की 45 कलाकृतियां
वापस आने वाली कलाकृतियां 11वीं शताब्दी से 14वीं शताब्दी के बीच की हैं। कुछ पुरावशेष 2000 ईसा पूर्व की हैं। टोराकोटा का एक फूलदान दूसरी शताब्दी का है। सगभग 45 कलाकृतियां ईसा पूर्व की हैं। कांस्य संग्रह के रुप में मुख्य रुप से लक्ष्मी नारायण, बुद्ध, शिव-पार्वती और 24 जैन तीर्थकंकर की प्रसिद्ध मुद्राओं की अलंकृत कलाकृतियां शामिल हैं।