उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी की योगी सरकार कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहती है। इसलिए वह हर तरफ मोर्चाबंदी कर अपने किले को राजनैतिक दुश्मनों से सुरक्षित करने की कोशिश में लगी है। इसी क्रम में सरकार ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर समाज के हर समुदाय के लोगों को साधने करने का प्रयास किया है।
यूपी की योगी सरकार ने चुनाव से करीब 6 माह पहले अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर सभी समुदाय के लोगों को संतुष्ट करने का प्रयास किया है। सात विधायकों को मंत्री बनाया गया है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल के तर्ज पर विस्तार
बता दें कि दो महीने पहले मोदी सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया था, जिसमें भी सात लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। इनमें भी एक ब्राह्मण और छह ओबीसी या दलित समाज के सांसद शामिल थे। योगी सरकार ने भी केंद्रीय मंत्रिमंडल की तर्ज पर अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया है। मोदी की तरह योगी सरकार ने भी ओबीसी में गैर यादव और दलित में गैर जाटव को सरकार में शामिल किया है।
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ये बनाए गए मंत्री
केंद्र की मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार में लखीमपुर खीरी से सांसद अजय कुमार मिश्रा (ब्राह्मण) के साथ ही महाराज गंज के सांसद पंकज चौधरी (ओबीसी), अपना दल की भानुप्रिया पटेल(ओबीसी), आगरा से एसपी बघेल( एससी), भानु प्रताप वर्मा( एससी) मोहनलालगंज से सांसद कौशल किशोर, राज्यसभा सांसद बीएल वर्मा( (एससी) को मंत्रिमंडल में स्थान दिया गया है। उसी तर्ज पर योगी सरकार में जितिन प्रसाद( ब्राह्मण) के आलावा संगीता बलवंत बिंदे( ओबीसी), धर्मवीर प्रजापति( ओबीसी) , पलटूराम ( एससी), छत्रपाल गंगवार(ओबीसी), दिनेश खटिक( एससी) और संजय गौड़( एसटी) को अवसर दिया गया है।