कांग्रेस के अकबर रोड स्थित कार्यालय में दो नेताओं को लेने की तैयारी शुरू थी। इसके लिए नई दिल्ली के 24 अकबर रोड स्थित कार्यालय में सबेरे से सरगर्मियां थीं, राहुल गांधी की उपस्थिति में कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवानी कांग्रेस में शामिल होनेवाले थे। लेकिन इसके घंटे भर पहले पंजाब में सियासी घमासान ने नया मोड़ ले लिया और कांग्रेस की एकजुटता टुकड़े-टुकड़े में खंडित होती नजर आई।
ऐसा माना जा रहा है कि, कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने के लिए मजबूर करनेवाले नवजोत सिंह सिद्धू को मुख्यमंत्री पद की कमान मिलने की आशा थी। परंतु, उनके हाथ पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष पद ही रह गया और पंजाब का मुख्यमंत्री पद चरणजीत सिंह चन्नी के हाथ चला गया। इससे पंजाब कांग्रेस में लंबी लड़ाई छेड़नेवाले सिद्धू को मायूस होना स्वाभाविक है।
कैप्टन से छिनी कुर्सी, सिद्धू भी रह गए हाथ मलते
दोपहर लगभग 3 बजे कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दिल्ली की फ्लाइट पकड़ी थी, जिस समय कैप्टन प्लेन में सवार हो रहे थे, ठीक उसी समय पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। कयास लग रहे थे कि कैप्टन भाजपा के साथ हो सकते हैं, परंतु पंजाब कांग्रेस में इस नए घटनाक्रम ने सियासत ही उलट दिया है। कुर्सी न कैप्टन के पास रही और न ही सिद्धू को मिली। बल्कि इसने सिद्धू के विरुद्ध कैप्टन के मोर्चे को अधिक बलशाली कर दिया है।
इसलिए सिद्धू ने दिया इस्तीफा
- नवजोत सिंह सिद्धू को आशा थी कि कैप्टन के मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद उन्हें मिलेगा राजपाट
- अगले चुनाव में कांग्रेस ने सिद्धू को पार्टी का चेहरा भी घोषित नहीं किया
- कैप्टन के विरुद्ध मोर्चा खोलने के बाद भी मुख्यमंत्री न मिल पाने पर ठगे से महसूस कर रहे थे सिद्धू
- सुखविंदर सिंह रंधावा को गृहमंत्री बनाए जाने से नाराज
- अफसरों के तबादलों पर अनदेखी किये जाने से नाखुशी