पंजाब कांग्रेस में चल रही सियासी घमासान की पूरे देश में चर्चा है। आखिर पार्टी में चल क्या रहा है, सभी यह सोच रहे हैं। अब महाराष्ट्र में कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार चला रही शिवसेना ने भी उसे बीमार बताकर इलाज की जरुरत बताई है। पार्टी के मुखपत्र सामना में लिखे लेख में कहा गया है कि पार्टी के मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष का इस्तीफा के बाद केंद्रीय स्तर पर पार्टी का नेता कौन है, इसे लेकर काफी असमंजस है। वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी के कामकाज पर नाराजगी जाहिर की है। इस पृष्ठभूमि में विपक्ष द्वारा कांग्रेस की आलोचना किए जाने पर आश्चर्य की कोई बात नहीं है।
संपादकीय में शिवसेना ने कांग्रेस की गलतियों की ओर इशारा करते हुए उसे सलाह दी है। इस स्थिति में कांग्रेस को क्या करना चाहिए, यह बताते हुए शिवसेना यह कहना नहीं भूली है कि भाजपा के विस्तार से कांग्रेस की हालत खराब हुई है।
कमजोर है कांग्रेस
शिवसेना ने कहा है कि पिछले 7-8 साल से कांग्रेस की हालत अच्छी नहीं है। पार्टी ने कहा, “नरेंद्र मोदी के तूफान के साथ भाजपा के विस्तार ने कांग्रेस को कमजोर कर दिया है और कांग्रेस के कई नेता- कार्यकर्ता भाजपा में चले गए हैं। पंजाब में भी पार्टी की जड़ें हिल गई हैं। कैप्टन अमरिन्दर सिंह को कांग्रेस के गणमान्य व्यक्तियों ने मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया। प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू कुर्सी छोड़ भाग खड़े हुए। अविश्वसनीय ढंग से सिद्धू ने इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस के संकट को और बढ़ा दिया। सिद्धू के लगातार झगड़ों के चलते अमरिंदर को हटा दिया गया। अब जब सिद्धू भी चले गए हैं तो कांग्रेस के पास क्या बचा है?”
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सिर के बिना धड़ का महत्व नहीं
शिवसेना ने पार्टी नेतृत्व के मुद्दे पर कांग्रेस को अहम सलाह दी है। उसने कहा, ‘लोग भाजपा में जा रहे हैं क्योंकि उसके पास मंत्री पद बांटने की क्षमता है। इस स्थिति में कांग्रेस का क्या होगा? कांग्रेस बीमार है। यह विचार करना महत्वपूर्ण है कि चल रहे उपचार गलत हैं या सही। जनता की भावना है कि कांग्रेस फिर से ताकतवर बने लेकिन इसके लिए कांग्रेस को एक पूर्णकालिक अध्यक्ष की जरूरत है।’
यह करेंगे अमरिंदर सिंह
शिवसेना ने कांग्रेस नेतृत्व की आलोचना करते हुए अमरिंदर सिंह को सीएम पद से हटाने के निर्णय को गलत बताया है।पार्टी ने कहा, ‘अमरिंदर सिंह ने भाजपा में शामिल होने से इनकार किया है। लेकिन वे कांग्रेस में भी नहीं रहेंगे, उन्होंने कहा है। इसलिए, ऐसा लगता है कि वे अपनी नई पार्टी बनाएंगे और कांग्रेस को खत्म करने की कोशिश करेंगे।’ सामना के संपादकीय में कहा गया है, ‘यह अफवाह थी कि अमरिंदर सिंह को केंद्रीय कृषि मंत्री के पद की पेशकश की गई थी। मोदी की नीति है कि 75 साल पूरे करने वालों को सत्ता का पद नहीं मिलना चाहिए। अमरिंदर सिंह 79 साल के हैं। तो क्या पार्टी उनके लिए अपनी नीति बदलेगी?’